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श्वान की भावनाएँ कैसी ? "हिज मास्टर्स वॉईस" की रिकॉर्ड पर देखिए चित्र में, कि कुत्ता अपने मालिक की आवाज कितनी एकाग्रता से सुनता
है।
इसीलिए हमेशा अच्छी कथाएँ कहनी और सुननी चाहिए, इससे गन्दे और घटिया साहित्य स्वत: छूट जाएंगे। वैसे जो लोग इन चार कथाओं में रत रहते हैं, उनके मन ऐसे कलुषित हो जाते हैं । जिस प्रकार धुएं से काली पडी चिमनी में दीपक का प्रकाश धुंधला जाता है, वैसे ही गन्दी और घटिया कथाएं कहने और सुनने वालों के हृदय में ज्ञान और विवेक रूपी प्रकाश प्रस्फुटित नहीं हो पाता और उनका जीवन अन्धकारमय हो जाता है।
जो विवेकी हैं, वह इस लोक, परलोक का विचार करके जीता है, जो सत् असत् का विचार करता है, उसके जीवन में पछताने का वक्त नहीं आता, क्यों कि वह अपने तन और मन को अस्वस्थ करने जैसा 'कुछ करता
ही नहीं ।
धर्म क्या है ? धर्म यानि विवेक का सार, जो प्रवृत्ति विवेक रहित हों वह धर्म कैसे बन सकती है ?
एक बार कश्मीरी और मद्रासी दो व्यक्ति बम्बई में मिले। दोनों में मैत्री हुई, मद्रासी होशियार था, जब कि कश्मीरी लगाववाला, उदार परंतु विवेकहीन था, लगाव के साथ विवेक भी होना चाहिए। जाते समय दोनों ने अपने ठिकाने एक दूसरे को दिए, अपने घर आने का निमंत्रण दिया फिर चले गये ।
गर्मीयां आई, तब कश्मीरी मद्रास गया उसने भावपूर्वक उसका सत्कार किया, बहुत गर्मी थी, नहाने के लिए ठंडा पानी, बारीक वस्त्र दिए। भोजन में श्रीखंड दिया, पास बैठकर पंखे से प्रेमपूर्वक हवा डाली, कश्मीरी बहुत खुश हुआ ।
फिर सर्दियां आई, मद्रासी कश्मीर गया, कश्मीरी व्यक्ति लगाव वाला था, अतः उसने सब कुछ मद्रासी की तरह ही किया । नहाने के लिए ठंडा पानी, भोजन में श्रीखंड, बारीक वस्त्र आदि दिए उपर से पंखे से हवा देने लगा। मद्रासी ठंड से कंपने लगा, खाते खाते कश्मीरीने पूछा, " आपकी क्या
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