________________
६८
जीवन में संयोगो के अधीन होकर हम फिसल न जाएं, इसके लिए यह छट्ठा सोपान मंत्र हमें मिला है। दुनिया में बलवान दिखते हुए व्यक्ति को भी, पापभीरूता का चिराग हृदय में सदा रोशन रखना है। ऐसे गुण धारक व्यक्ति की वाणी, विचार कैसे होते है? तथा परलोक में शांति कैसे प्राप्त होती है, यह बाद में सोचेंगे।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org