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है, और आज जो करेंगे वह कल भोगना पड़ेगा । हमारी तकदीर हमारे भूतकाल के कर्मों का फल है, हमारे मन, वचन, काया के कार्यो का परिणाम है। यदि किसी को लोकप्रियता मिलती है तो हम उसकी निंदा क्यों करते है ? इससे हमारे पुण्य का नाश होता है ।
व्यक्ति यदि अपने आप को सुधारने का प्रयत्न आज से ही शुरू करे, तो एक दिन अवश्य सुधर जाएगा। परंतु जो कोशिश ही नहीं करता, वह नहीं सुधर सकता ।
अपमान किसी को प्रिय नहीं, स्वमान सबको प्रिय होता है, क्यों कि सब में स्व-तत्त्व पडा है । हम जैसा दुनिया को देंगे वैसा ही पायेंगे।
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