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प्रवचन-४९
११ सेठ ने कहा : 'सामनेवाले मैदान के बीचोंबीच इस खंभे को गाड़ कर खड़ा कर दो।' ___ भूत ने चंद क्षणों में खंभे को मैदान के बीच में खड़ा कर दिया।
सेठ ने कहा : 'अब, जब तक मैं तुम्हें और कोई काम नहीं बताऊँ तब तक तुम इस खंभे पर चढ़ते रहो और उतरते रहो। यही तुम्हारा काम रहेगा अब से।' ___ भूत का मुँह देखने लायक हो गया होगा न। सेठ ने बुद्धिपूर्वक कैसा फँसाया उसको । वैसे, इस दुनिया में मद करनेवाले कभी न कभी दुःखी होते रहते हैं। क्या आप नहीं सुनते कि बल का उन्माद लेकर घूमनेवाले कइयों की हत्या हो जाती है? बुद्धि का अभिमान-गर्व करनेवालों ने अवसर आने पर बुद्धि का दिवाला निकाला है? रूप से उन्मत्त बने लोगों के शरीर रोगों से भर गये और ऐसे कुरूप हो गये कि कोई उनके सामने देखना भी पसंद नहीं करें।
दूसरा नियम भी जान लो। आप जिस बात को लेकर मद करोगे, आनेवाले जन्म में वह बात आपको हीन कक्षा की मिलेगी। १. यदि यहाँ उच्च जाति का आपने मद किया तो आनेवाले जन्म में आपको
निम्न कक्षा की जाति में जन्म मिलेगा। २. यदि यहाँ-इस जन्म में आपने अपने उच्च कुल का मद किया तो आनेवाले
जन्म में आपको निम्नस्तर के कुल में जन्म मिलेगा। ३. यदि इस भव में आपने अपने रूप का मद किया तो आनेवाले भव में आप
कुरूप ही जन्मेंगे। आपको रूप नहीं मिलेगा। ४. यदि इस वर्तमान भव में आप बल का मद करते हो तो आनेवाले जन्म में
आप कमजोर पैदा होंगे। कितनी ही दवाइयाँ खाने पर भी, सशक्त नहीं बन सकोगे। ५. इस जन्म में आपको सुख के साधन सरलता से उपलब्ध हो जाते हैं और
इस बात का आपको गर्व है तो आनेवाले जन्म में आपको वे साधन
सरलता से प्राप्त नहीं होंगे। ६. यदि इस जन्म में आपने अपनी बुद्धि का गर्व किया तो आनेवाले जन्म में
बुद्धिहीनता प्राप्त होगी। ७. इस जन्म में यदि अपने ज्ञान का मद किया तो आनेवाले जन्म में ज्ञानप्राप्ति
ही नहीं होगी।
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