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( ४ )
५. इरियावहि सुतं ।
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इच्छाकारेण - अपनी इच्छा से
संदिसह भगवं— आज्ञा दीजिये हे पूज्य गुरुदेव ! इरियावहियं -- गमनागमन में होती हुई जीवविराधना से पडिक्कमामि -- अलग होउं ?
इच्छं - आपकी आज्ञा प्रमाण है ।
इच्छामि पडिक्कमिडं-- मैं चाहता हूँ मार्ग की पापक्रिया से निवृत्त ( अलग ) होने के लिये ।
इरियावहियाए - - मार्ग सम्बन्धि विराहणाए - - जीवों की विराधना से गमणागमणे -- जाने और आने में
पाणक्कमणे--किसी जीव को दबा देने में - उस पर दाट बताने में
बीक्कमणे -- धान्यादि बीजों के दबाने में - ( कुचलने में ) हरियक्कमणे - वनस्पतिकाय को दबाने में
ओसा - उत्तिंग -- ओस, झाकल तथा कीडीनगरा पणगदग -- पांच वर्ण की नीलफूल, सचित्त जल और सचित्त कीचड़
मट्टी मक्कडा -- अनेक प्रकार की सचित्त मिट्टी, मकड़ी के जाला आदि
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