Book Title: Devasia Raia Padikkamana Suttam
Author(s): Jayantvijay
Publisher: Akhil Bharatiya Rajendra Jain Navyuvak Parishad

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Page 172
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१५३) उसकी खमासमण, माला गुणना, देववन्दन क्रिया पांच दिन बाद कर लेने से उसका व्रतमङ्ग नहीं होता। ३ रोगादि कारण में तीन दिन पूरे होने बाद भी रुधिर दिखाई देवे तो उसका कोई दोष नहीं माना जाता, लेकिन पांच दिन बाद ही पवित्र हो अबोट वस्त्र पहिन कर प्रभुपूजादि धार्मिक क्रिया आचरण करना चाहिये, पेश्तर नहीं। ९१. जैनदीवाली-पूजनविधि । प्रथम अच्छा मुहूर्त चोघडिया में बाजोट के ऊपर चोपडा को स्थापना कर, उसके दोनों तरफ घी का दीपक और धूप रखना, फिर अपने जिमने हाथ में मौली बांध कर नयी निकाली हुई बरु की कलम से नये चोपडे में नीचे मुताबिक लेख लिखना। *७४॥००० श्रीपरमात्मने नमः । श्रीसरस्वत्यै नमः । श्रीगौतमस्वामीजी की लब्धि होजो, श्रीकेशरियाजी का भण्डार भरपूर होजो, श्री बाहुबलिजी का बल होजो,श्री अभयकुमारजी की बुद्धि होजो, श्री कवयन्नाजी का सुख होजो, श्री धन्नाजी और शालिभद्रजी की संपत्ति होजो । श्री वीरनिर्वाण संवत २४...., विक्रम सं० २००...., शुभ मास कार्तिक.... शिखराकार श्री कर के नीचे जो साथिया करना उसको कुंकुम से मांडना और ऊपर अखण्ड नागरवेल का पान रख कर उसके ऊपर सोपारी, इलायची, लोंग और एक For Private And Personal Use Only

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