Book Title: Devasia Raia Padikkamana Suttam
Author(s): Jayantvijay
Publisher: Akhil Bharatiya Rajendra Jain Navyuvak Parishad

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Page 171
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१५२) लगता है और दूसरे कोई जानवर मर जाय तो उसको बाहर निकालने के बाद सूतक नहीं लगता। ९०. ऋतुवंती संबन्धी संक्षिप्त सूतकविचार । १ कारणवाली स्त्रियों को तीन दिन का सूतक लगता है। कारणवाली स्त्री कारण में पहले दिन चण्डालिनी, दूसरे दिन ब्रह्मघातिनी और तीसरे दिन धोबिन मानी गई है। इसलिये कारण के दिनों में स्त्रियों को रसोई बनाना, धान्य साफ करना, उसको पीसना, लोपन छावन करना, मोगर दाल बनाना, कपडे सीना, अपने वस्त्र सिवाय के अन्य वस्त्र धोना, घर का बायदा निकालना, पापड, बडी, खीचा बनाना, गाय, भैंस, बकरी को दोहना, दूध जमाना, बिलोना करना, धर्मकथा कहना, ज्ञातिभोजनादि में जीमने को जाना, लग्नादि प्रसंग में गीत गाना, दानादि देना मेलाखेला में जाना, ढोरादि के लिए बांटा वाफना, खानादि से मिट्टी लाना, झूले पर झूलना, स्वपर का शिर गन्थना गुन्थाना, रुदन हास्यादि करना, खाट, पलंग पर सोना बैठना, तैलादि लगाना, नदी तालावादि पर जाकर नहाना, घर में इधर उधर घूम कर पड़ी हुई चीजों को छूना इत्यादि कोई भी कार्य नहीं करना चाहिये। २ कारणवाली स्त्रियों को पांच दिन तक प्रभुदर्शन, प्रभुपूजा, सामायिक, प्रतिक्रमण, आदि धर्मक्रिया नहीं करना चाहिये । पर्वतिथि सम्बन्धी तपस्या हो सकती है, परन्तु For Private And Personal Use Only

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