Book Title: Devasia Raia Padikkamana Suttam
Author(s): Jayantvijay
Publisher: Akhil Bharatiya Rajendra Jain Navyuvak Parishad

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Page 150
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१३१) शासनपति की आज्ञा में ही, चलते मुविचारं, प्रभु० गच्छपति गणधारी, नमो आयरियाणं । ओम् नमो० ३ अलग रहे जो सर्व क्लेश से , उत्तम पद धारं, प्रभु० सदधर्म के उपदेशक, नमो उवज्झायाणं। ओम् नमो० ४ समता धारक ममता मारक, सब जनहित कारं, प्रभु० मित्रो प्रति पल रटना, नमो सव्वसाहूणं । ओम् नमो० ५ सब मंगल में पहला है यह, मंगल सुखकारं, प्रभु० सूरि राजेन्द्र'को ध्यावें, 'जयन्तविजय'कारं । ओम् नमो०६ ७४. नवकारमहिमा स्तवन । मंगलमय नवकार, जीवनमा मंगलमय नवकार, दूर करे अन्धकार, जीवनमा मंगलमय नवकार । नव नवकारनी महिमा मोटी, कही श्रीजिन गणधार । जीवनमां० १ भाव सहित नव लाख जपे ते, जाय न नरक मशार । जीवनमां० २ नवनिधि सहेजे सांपडे एहने, रहे न दुःख लगार । जीवनमां० ३ फुलवाडी जीवननी विकसे, परिमल पसरे अपार । जीवनमा० ४ For Private And Personal Use Only

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