Book Title: Devasia Raia Padikkamana Suttam
Author(s): Jayantvijay
Publisher: Akhil Bharatiya Rajendra Jain Navyuvak Parishad

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Page 162
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८६. श्रावक को नित्य धारने योग्य १४ नियम । सचित्त दव्व विगई, बाणह तंबोल वत्थ कुसुमेसु । वाहन सयण विलेवण, बंभ दिसि न्हाण भत्तेसु ॥१॥ १ सचित्त में-पृथ्वीकाय-माटी, नमक, गोबर, खडी, हरताल, हरमची, मनसिल आदि वस्तुओं का बजन प्रमाण और उनको वापरने की गिनती करना। अपकाय-पीने, न्हाने आदि में जल वापरने का प्रमाण करना और पणेरा तथा निवाग की गिनती करना। तेउकाय-चूल्हा, भट्टी, सगडी, दीपक, कंडील, ग्यास, बिजली, तापनिया, अबाडा, पिलसोद आदि लगाने की नियम गिनती करना । . वायुकाय--पंखा, वस्त्रखंड, बींजना वृक्षडाली, झूला. हिंचोडा आदि से हवा लेने, फूंक देने, कचरा साफ करने की बुहारी और भूगली से फूंकने की गिनती, एवं उन चीजों का प्रमाण करना । वनस्पतिकाय-पत्र सम्बन्धी शाग, भाजी बीज सम्बन्धी और फल सम्बन्धी वस्तु खाने की चीजों का प्रमाण और गिनती करना। २ द्रव्य-जो चीजें अलग अलग स्वाद के लिये खाने में आवें और मुखशुद्धि के वास्ते दाँतन आदि की गिनती एवं प्रमाण करना । For Private And Personal Use Only

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