Book Title: Devasia Raia Padikkamana Suttam
Author(s): Jayantvijay
Publisher: Akhil Bharatiya Rajendra Jain Navyuvak Parishad

View full book text
Previous | Next

Page 167
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१४) ८८. जन्म सम्बन्धी संक्षिप्त १ पुत्र जन्मे तो दश दिन का और पुत्री दिन में जन्मे तो ११ दिन का और रात्रि में जन्मे तो बारह दिन का सूतक जानना । जन्मदात्री को चालीस दिन का और सुवावड़ करनेवाली को सत्तावीस दिन का सूतक जानना । जन्मदात्री एक महिना तथा सुवावड़कर्त्री बारह दिन होने बाद प्रदर्शन कर सकती है, किन्तु प्रभु का पूजन नहीं कर सकती । २ जन्मदात्री के घरके कुटुम्बी दूसरे घर में बनी हुई रसोई जीमें उनको और उनके यहाँ आनेवाले सम्बन्धी जो साथ में खाते पीते हों उनको पांच दिन का सूतक लगता है । दूसरे गाँव से आनेवाले लोग जन्मदात्री के घर जितने दिन जीमे उनको उतने दिन का सूतक लगता है और नहीं जीमे तो सूतक नहीं लगता । For Private And Personal Use Only सूतकविचार | | ३ लड़की अपने पीयर में जन्मे तो उस के पति को तथा कुटुम्बियों को पांच दिन का सूतक जानना । दासी एवं नौकरानी जो अपने खुद के घर रहते हों और उनकी वहीं प्रसूति हुई हो और उनका जाना आना तीन दिन का सूतक जानना, वे आते-जाते सूतक नहीं लगता । होता हो तो नहीं हों तो ४ सुवावड़ करनेवाली पांच सात दिन जन्मदात्री के यहाँ रह कर वापिस अपने घर चली जाय, फिर नहीं आती

Loading...

Page Navigation
1 ... 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188