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( ३५ )
आपकी इच्छा से आज्ञा दीजिये, जिससे मैं दैवसिक प्रतिक्रमण शुरू करूं ? आपकी आज्ञा प्रमाण है ।
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सव्वस्स वि देवसिअ - - समस्त दिवस सम्बन्धी दुचिंतिय दुग्भासिअ - - दुष्ट चिन्तन से, खराब भाषण से दुच्चिठि -- और खोटी चेष्टा करने से लगा हुआ सब पाप मिच्छामि दुक्कडं -- मेरा मिथ्या (निष्फल ) हो ।
२७. इच्छामि ठामि सुत्तं ।
इच्छामि ठामि काउसग्गं-- चाहता हूँ कायोत्सर्ग ठाने ( करने ) को
जो मे देवसिओ अइयारो कओ -- जो मेरे को दिवस सम्बन्धी अतिचार ( दोष ) लगे
काइओ वाइओ माणसिओ - - काया सम्बन्धी, वचन सम्बन्धी और मन सम्बन्धी
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उस्तो उम्मग्गो अकप्पो -- मूत्रविरुद्ध, जिनमार्ग विरुद्ध और आचार विरुद्ध,
अकरणिज्जो नहीं करने योग्य कार्य का
दुज्झाओ दुव्विचितिओ -- दुष्ट ध्यान ध्याया हो, दुष्ट
चिन्तन किया हो ।
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