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या लक्कड़ बेचने का धन्धा-वनकर्म, और गाड़ी, ऊंट, इक्का, मोटर आदि का धन्धा
शकटकम, भाडी-फोडीसु वज्जए कम्मं--घोड़ा, ऊँट, बैलगाड़ी,
मोटर भाडे फेरने का धंधा-भाटककर्म, कूआ, तलाव, खान आदि खोदने, खुदवाने का धंधा-स्फोटककर्म, पांच पाप कर्म श्रावक
के त्याग करने योग्य हैं। वाणिज्जं चेव दंत-फिर वाणिज्यकर्म में हाथीदाँत..
सीप, मोती प्रमुख का लक्ख-रस-केस-विस-विसयं ।--लाख, हरताल, गोंद
आदि, दुध, गुड़ आदि, पशु, मनुष्य, तोता, हंस आदि के केस एवं पांखे आदि सोमल, अफीम आदि जहरीले पदार्थों का और शस्त्रास्त्र का धन्धा श्रावक को छोड़ देना
चाहिये ॥ २२॥ एवं खु जंतपीलण--इसी प्रकार यन्त्रपीलनकम्मं निल्लंछणं च दवदाणं--कर्म में चक्की, चरखा,
घाणी, घट्टी, झीण, मील आदि का धन्धा, बैल आदि पशुओं के नाक, कान आदि अवयवों
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