Book Title: Devasia Raia Padikkamana Suttam
Author(s): Jayantvijay
Publisher: Akhil Bharatiya Rajendra Jain Navyuvak Parishad

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Page 145
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१२६) करसी । इण करणीमुं होय पखाल्यो, अणतोल्य पाणी भरसी ॥ १ ॥ “व्रत बड़ो रे भाइ एकादशी, प्रभुजीरा ज्ञान विना मुक्ति किसी" ॥टेर॥ परण्यो बाप बेटी साटे, ऊपर धमेड़ा उणरे पडसी । इण करणीमुं होय कागलो, करां करां करतो फरसी ॥७॥ २ ॥ गोखे बेसी दांतन मोड़े, परनारियां चित जे धरसी । इण करणीमुं होय भंडूरो, विष्टा में मुंडो भरसी॥७॥३॥ भरी सभा में झूठो बोले' कूड़ी कूड़ी साखा भरसी । इण करणीमुं होय गधेडो, गली गली भूकतो फरसी ॥ ७० ॥४॥ इग्यारसरे दिन माथो धोवे जुभां लीखा जो मरसी । भंगीरे घर बेटी होसी. तारतखानो सोरती फरसी ॥३०॥५॥ इग्यारसरे दिन लीपण गाले, कीड़ी मकोडी वहाँ मरसी। तेलीरे घर बलधो होसी, दोनो आंखां त्यां बन्धसी ॥७० ॥६॥ इग्यारसरे दिन छाणा बीने, उदेही माकड़ी ज्यां मरसी । इण करणीसुं होय रौंछनी, बन वन माहे भमती फरसी ॥ ७० ॥ ७ ॥ इग्यारसरे दिन उपास करीने, कोला सकरकन्द भखसी। इण करणीसु होय वांदरो, रूंख रूंख फरतो फरसी ॥७०॥८॥ कांदा मूला खाय बटाटा, राते भोजन जे करसी। इण करणीसुं होय चीचड़ो, ऊंधे माथे नित टरसी ॥७० ॥ ९ ॥ मन मेले थइ वावरा, परनारीने तकता फरसी । इण करणीमुं पडे नरक में, जमडा जाने विदरसी ॥ ब्र० ॥ १०॥ फूट फजीता घाले पापी, कूडा कलंक मन धरसी । इण करणीसुं For Private And Personal Use Only

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