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पुप्फे अ फले अ गंधमल्ले अ -तथा फूल, सुगंधी
पदार्थ और पुष्पमाला के उवभोग-परीभोगे--एक वार उपभोग में आनेवाले
अन्न, जल आदि और बार बार काम में आनेवाले-घर, वस्त्र, स्त्री आदि के लगे हुए
अतिचार दोषों की बीयम्मि गुणव्वए निंदे।-दूसरे गुणव्रत में मैं निन्दा
__ करता हूँ॥ २०॥ सच्चित्ते पडिबद्धे--प्रमाणाधिक सचित्त वस्तु वापरने से,
और सचित्त से मिली हुई वस्तु के वापरने
से तथा अपोल-दुप्पोलिअं च आहारे--अपक्क और अर्धपक
वस्तु के खाने से, तुच्छोसहि भक्खणया-तुच्छ वनस्पति, फल के भक्षण
करने से पडिक्कमे देसि सव्वं ।-दिवस सम्बन्धी जो अतिचार
दोष लगे हों उन सब का मैं पतिक्रमण
करता हूँ ॥ २१ ॥ इंगाली-वण-साडी--अङ्गारकर्म-अग्निसंबन्धी कामधंधा
कुम्हार, मुनार, चूनार, भड़भूजा आदि का, जंगल को ठेके लेने, उसको काटने, कटवाने
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