________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( ८२ )
वयररिसी नंदिसेणे सीहगिरी । - वज्रस्वामीजी, नन्दिषेणजी, सिंहगिरि आचार्य,
कयवन्नो अ सुकोसल — कृतपुण्यकुमार, और सुकोशल मुनिवर,
पुंडरिरओ केसि करकंडू । - - ऋषभदेवप्रभु के प्रथम गणधर पुंडरीकस्वामी, केशीकुमार और कंडरीक प्रत्येकबुद्ध ||२||
हल्ल विहल सुदंसण - श्रेणिक के पुत्र हल्लकुमार, विहल्लकुमार और सुदर्शन सेट,
साल महासाल सालिभद्दो अ । - शालमुनि, महाशाल मुनि और शालिभद्रजी,
भो दसणभदो — भद्रबाहुस्वामी, दशार्णभद्रजी, पसण्णचंदो अ जसभदो । - प्रसन्नचन्द्रराजर्षि तथा यशोभद्रसूरीश्वरजी ||३||
जंबुपहु वंकचूलो-- जम्बूस्वामी, बँकचूलकुमार,
श्रेणिकराजा का पुत्र लब्धिधारक महातपस्वी जिसने भोगावली किया और वहाँ दिलाई । अन्त में
कर्मोदय से चारित्र - पतित होकर वेश्या के घर निवास पर प्रतिदिन १० आदमियों को प्रतिबोध देकर दीक्षा खुद पुनः दीक्षा लेकर मोक्षपद पाया यह पहला, तथा साधुओं की वैयावृत्य प्रेम से करनेवाला और देवों की परीक्षा में उत्तीर्ण होनेवाला ये दो नन्दिषेण हुए है ।
दूसरा
For Private And Personal Use Only