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( ६० )
को छेदना - निलांछनकर्म, घर, जंगल, गाँव आदि में आग लगाना - दवदानकर्म,
सर- दह-तलाय- सोसं, - - सरोवर,
द्रह, बडे तलाव और
जलाशयों को सुखाना- शोषणकर्म, असईपोसं च वज्जिज्जा । - हिंसक बिल्ली, नोलिया,
व्यभिचारी पुरुष स्त्रियों का पालन करना, इन सब पापजनक कामों का श्रावक को त्याग कर देना चाहिये ॥ २३ ॥
सत्थरिंग मुसल जंतग --शस्त्र, मूसल, यंत्र, तण-कट्टे मंतमूलभे सज्जे-तृण ( बुहारी )
भारवट के लिये काष्ठ, वशीकरणादि मंत्र, नागदमनी आदि जडी जडी अथवा गर्भपातादि मूलकर्म, और उच्चाटनादि चूर्ण गोली बनाने की औषधियाँ,
दिन्ने दवाव वा -- ये हिंसा के साधन देने, दूसरों को दिलाने और देनेवालों को अच्छा जानने से
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पडिक्कमे देसिअं सव्वं । - दिवस सम्बन्धी जो दोष लगे हों उनका मैं प्रतिक्रमण करता हूँ ॥ २४ ॥ पहाणुव्वट्टण वन्नग — बिना छाने हुए जल से या अयतना से स्नान करने, अयतना से शरीर का मैल उतारने, रंग लगाने या वस्त्रादि रंगने,
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