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पढमे अणुव्यवम्मी – पहले अणुव्रत में धूलगपाणाइ वायविरईओ - स्थूलप्राणातिपात की विरति
संबन्धी आयरिअमप्पसत्थे—– अप्रशस्त भाव में वर्तते जो कुछ विरुद्ध
आचरणा हुई हो
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इत्थ पमायप्पसंगेणं - इसमें प्रमाद के प्रसंग से इस व्रत का उल्लंघन किया हो ||९|| वो यह किवह-बंध - छविच्छेए मनुष्य, पशु, पक्षी आदि को चाबुक, लकडी आदि से पीटना १, उनको रस्सी, सांकल आदि से बांधना २, और उनके नाक, कान, पूंछ आदि शरीरावयवों को छेदना ३,
अहमारे भक्त पाण-वुच्छेए- पशु, नौकर या हमाल आदि पर शक्ति उपरान्त बोझा लादना ४, उनको समय पर खाने पीने को न देना, या कम खाने पीने को देना ५,
पढमवयस्सइआरे - प्रथम व्रत के इन पांचों या इनमें से लगे कोई भी
पक्किमे देसिअं सव्वं । - दिवस संबन्धी अतिचार दोष की मैं प्रतिक्रमण रूप आलोचना करता
॥ १० ॥
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