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( ४३ )
आवस्सिआए आवश्यक क्रिया सम्बन्धी अतिचार दोषों से
पडिक्कमामि -- निवृत्त ( अलग ) होता हूँ. खमासमणाणं --- आप क्षमाश्रमण पूज्य गुरुदेव की देवसियाए आसायणाए - दिवस सम्बन्धी आशातनाओं के द्वारा
तित्तीसन्नपराए— गुरु सम्बन्धी तेंतीस आशातनाओं में से कोई भी आशातना द्वारा
जं किंचि मिच्छाए - - जो कुछ मिथ्याभाव में मणदुक्कडाए - मानसिक खोटे विचारों से, कायदुक्कडाए -- खोटे वचनों से कायदुक्कडाए -- खोटी काया की प्रवृत्ति से, कोहाए माणा -- क्रोध और अभिमान से, मायाए लोभाए - - कपट और लोभ-लालच से सच्चकालियाए - - सर्वकाल सम्बन्धी सव्वमिच्छोवयाराए - - समस्त प्रकार के मिथ्या उपचार - मय व्यवहारों से सव्वधम्माइक्कमणाए सभी प्रकार के धर्मों के उल्लंघन करने से
आसायणाए - - आशातना हुई हो तो और तत्सम्बन्धी जो मे अइयारो कओ - जो मेरे अतिचार दोष लगा हो
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