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( १९ )
अभयदयाणं - - प्राणीमात्र को अभयदान देनेवाले हैं, चक्खुदयाणं -- ज्ञानरूप नेत्रों के देनेवाले हैं, मग्गदयाणं -- आत्मकल्याणकर मार्ग को देनेवाले हैं, सरणदयाणं -- शरणागत की दया रखनेवाले हैं, बोहिदयाणं - - सम्यक्त्वदान देनेवाले हैं, धम्मयाणं --- विशुद्धधर्म का उपदेश देनेवाले हैं, धम्मदेसयाणं- असली धर्म का मार्ग बतानेवाले हैं, धम्मनायगाणं धर्म के नायक (नेता) हैं,
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धम्मसारहीणं-- धर्मरूपी रथ को चलाने में सारथी के
समान हैं,
धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टीणं- धर्मरूप चक्र से चार गति का नाश करने में चक्रवर्ती के समान हैं, अप्पडिय - वरनाणदंसणधराणं-- किसीसे बाधित नहीं ऐसे केवलज्ञान और केवलदर्शन को धारण करनेवाले हैं, जिनसे चर या अचर किसी पदार्थ का स्वरूप छिपा हुआ नहीं है. वियट्टछउमाणं । - - छद्मस्थ अवस्था से रहित हैं अर्थात् जिन्होंने घातिकर्मों का सर्वथा विनाश कर दिया है ।
जिणाणं जावयाणं- स्वयं राग, द्वेष और कर्म रूप दुश्मन को जीतनेवाले और दूसरों को जितानेवाले हैं
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