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परियाविया--नाना प्रकार के कष्ट दिये हों किलामिया--थकाये हों, या मृतमाय किये हो उदविया-हेरान करके त्रास दिया हो ठाणाओ ठाणं संकामिया---स्वस्थान से दूसरे स्थान
पर ले जा कर बुरी तरह रक्खे हों। जीवियाओ ववरोविया--जीवित से छुड़ाये-मारे हो, तो तस्स मिच्छामि दुक्कडं---उस पाप का मैं मिथ्यादुष्कृत
देता हूँ-मेरा वह किया हुआ पाप मिथ्या हो।
६. तस्स उत्तरीकरणसुत्तं। तस्स उत्तरीकरणेणं--किये हुए उस पाप की फिर से
विशुद्धि करने के निमित्त पायच्छित्तकरणेणं--प्रायश्चित्त करने के निमित्त विसोहीकरणेणं--आत्मा का आभ्यन्तर मैल साफ करने
के निमित्त विसल्लीकरणेणं---आत्मा को शल्य रहित करने के
निमित्त पावाणं कम्माणं--सर्व पापकर्मों का णिग्घायणट्ठाए--नाश करने के निमित्त
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