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(७)
ठामि काउसग्गं-पापव्यापार का त्याग करने रूप में
कायोत्सर्ग करता हूँ।
७. अन्नत्थ-सुत्तं । अन्नत्थ ऊससिएणं--उछ्वासादि आगारों के सिवाय
अन्य क्रियाओं द्वारा ऊँचा स्वास लेने से नीससिएणं--नीचा स्वास लेने से खासिएणं--खांसी आ जाने से छीएणं-छींक आ जाने से जंभाइएण-उबासी आ जाने से उड्डुएणं--डकार आ जाने से वायनिसग्गेणं--वायु सरने से-पादने से ममलिए--चक्कर आ जाने से पित्तमुच्छाए--पित्त की मूर्छा आ जाने से सुहमेहिं अंगसंचालेहिं--शरीर की सूक्ष्म हलन चलन
क्रिया होने से सुहुमेहिं खेलसंचालेहिं--मूक्ष्म कफ या थूक के संचार से सुटुमेहिं दिहिसंचालेहि--दृष्टि के सूक्ष्म संचार से
नेत्र कीकी, पाँपण के हलन चकन से
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