Book Title: Antim Tirthankar Ahimsa Pravartak Sargnav Bhagwan Mahavir Sankshipta
Author(s): Gulabchand Vaidmutha
Publisher: Gulabchand Vaidmutha
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प्राचीनता
जैन धर्म भारत का प्रचीन धर्म है जो अनादि काल से श्रावच्छित चला आ रहा है। यह एक स्वतंत्र सर्वज्ञ भाषित धर्म होने के कारण इसके सिद्धान्त बहुत ही उच्च कोटि के हैं। इस धर्म की पवित्र छत्रछाया में किसी भी प्राणी की स्वतंत्रा का अपहरण नहीं हो सकता । प्राणीमात्र को इच्छितवस्तु इसी धर्म से प्राप्त हो सकती है और वह है 'जीना' अर्थात् अपना अपना जीवन । इस धर्म के आश्रय में प्राणीमात्र स्वच्छन्द और निर्भ
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