Book Title: Antim Tirthankar Ahimsa Pravartak Sargnav Bhagwan Mahavir Sankshipta
Author(s): Gulabchand Vaidmutha
Publisher: Gulabchand Vaidmutha
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भगवान महावीर के ग्यारह गणधर
अर्थात्
'प्रमुख-शिष्य'
अपापा नगरीके बाहर जब भगवान के समवसरणमें सहस्रों प्राणी अमृतमयी प्रभुकी वाणीका शांति रसपान कर रहे थे तब उस नगरीमें सोमिल नामक ब्राम्हणके यहां एक बहुत बड़े यज्ञकी तैयारी हो रही थी। उसमें भिन्न-भिन्न स्थानों एवं प्रदेशांके बड़ेबड़े धुरन्धर विद्वान, आचार्य और पाडत आमन्त्रित किये गये थे । उनमें से मुख्य गोव्हर नामक वस्तीसे गौतम गोत्रीय वसु भूति के तीन पुत्र इन्द्रभूति, अग्निभूते और वायुभूति अपने पांच-पांच सौ शिष्यों के साथ उस यज्ञमें पधारे । वे अपन समयके विद्वानों में प्रकांड तेजस्वी और सर्वश्रेष्ठ गिने जाते थे। उनके बाद कोल्लाक गांवसे व्यक्त और सौधर्म नामक प्रचंड पंडित लोग वहां आये। उनके साथ उनके एक हजार शिष्य भी थे। इसी प्रकार भिन्नभिन्न स्थानोंसे मंडित और मौर्य अपने साढे तान सौ शिष्यों के साथ और अकंप, अचलभात, मैतार्य आर श्रीप्रबास अपने तीन तीन सौ शिष्योंके साथ उस यज्ञमें सम्मिलित हुए।
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