Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra
Author(s): A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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जंबूदीवपण्णत्तिकी प्रस्तावना
४
गा. ४, २३७४- इस गाथा में धनुष के आकार के (segment) क्षेत्र का सूक्ष्म क्षेत्रफल निकालने के लिये सूत्र दिया गया है।
पिछली गाथा में लिये गये प्रतीकों में धनुषाकार क्षेत्र ( segment) अ स ब च का क्षेत्रफल =
(10) ४१० =hC/२० यह सूत्र अपने ढंग का एक है । महावीराचार्य ने गणितसारसंग्रह (७७०३ ) में इसका उल्लेख किया है । इस सूत्र का प्रयोग अर्द्ध वृत्त का क्षेत्रफल निकालने के लिये किया जाय तो h का मान r और 0 का मान D लेना पड़ेगा। तदनुसार अर्द्ध वृत्त का क्षेत्रफल =FP/2 = VR
गा. ४, २३९८-२४००- आकृति-३२ अ में बीचका वृत्त क्षेत्र बम्बूद्वीप का निरूपण, तथा शेष क्षेत्र लवण समुद्र का निरूपण करता है।
इसका आकार एक नाव के ऊपर दूसरी नाव रखने से बंबूद्वीप
प्राप्त हुई आकृति-३२ ब के समान है।
लवण समुद्र
२००००.यो.
१०००००
यो
मारुति-२५' आकृति-३२६(अ)
विवरण से (आकृति-३२ स) शत होता है कि लवण समुद्र की गहराई १००० योजन है। अपर विस्तार १००.० योजन और तल विस्तार २००००० योजन है। चित्र में मान को प्रमाण नहीं लिया गया है। यह समुद्र, चित्रा पृथ्वी के उपरिम तल से ऊपर कूट के आकार से आकाश में ७०० योजन ऊँचा स्थित है।
गा. ४,२४०३ आदि-हानि वृद्धि का प्रमाण मेरु
आकृति की गणना के समान यहां भी है। १९० हानि AN तल अ.३५ मिनाली की वृद्धि प्रमाण लेकर, भूमि अथवा मुख से इच्छित ऊँचाई या
गहराई पर, विष्कम्भ निकाला जा सकता है। रेखांकित भाग बहुमध्य भाग है, जहां चारों ओर (घेरे में ) उत्कृष्ट, मध्यम व बघन्य एक हजार आठ पाताल है। ये सब पाताल बड़े ( vessel) के आकार के हैं।
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