Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra
Author(s): A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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गाथानुक्रमणिका
घणसमयजणियभासुरघदवरदीवादीए घंटाकिंकिणिणिवहा
२४१ | चक्कंतमचक्कंतो २६ चत्तारिकूडसहिओ १७३ | चत्तारि अठ्ठ सोलस
चत्तारि कला अधिया ८१
चत्तारि जोयणसदा
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१४८ १७६ १६६
२८ १७०
घंटाकिंकिणिबुब्बुदघंटापडायपउरा घादंता जीवाणं पादिक्खयजादेहि य
चत्तारि जोयणसया चत्तारि तुंग पायव चत्तारिधणुसहस्सा
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१६८
२६
३१
६६
२४३
घउकूडतुंगसिहरो चउचउसहस्स कमला चउजोयणविक्खंभं चउणउदिजोयंणाणि य चउणउदिं च सहस्सा
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चउथम्मि कालसमये चउथा य माणिभद्दा चउथे पंचमकाले
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१६२
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११२
चउदस चेव सहस्सा
चत्तारिलोयवालाण चत्तारिसदेगत्तरि
चत्तारिसया णेया २७ चत्तारिसया तुंगा
चत्तारिसहस्ससुरा १७७ चत्तारिसहस्साई
चत्तारि सहस्साणि दु १६१ चत्तारिसहस्सेहि य
चत्तारि सागरोवम
चदुकूडतुंगसिहरो १३६ | चदुकोडिजोयणेहि य
चदुगुणइसूहि भजिदं | चदुगोउरसंजुत्ता
| चदुदालसयं आदि १४६
चदुरमलबुद्धिसहिदे ७२
चदुरुत्तर चदुरादी १४७ चदुसठ्ठिलक्खभजिदं
चदुसटिंठ चुलसीदी | चसुण्णएक्कतियसत्तचदुसु वि दिसाविभागे
५३
२६
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१६
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चउदसमहाणदीणं चउदालसदा ऐया चउदालीस सहस्सा चउरो इसुगारणगा चउरो चउरो य तहा चंउविहदाणं भणियं घउविहसुरगणणमियं घउवीस वि ते दीवा चवीसविभंगाणं
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२०
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चउवीससहस्साओ चउवीससहस्सेहि य 'चउसटिंठ च सहस्सा घउहत्तरि छ सया चकहरमाणमहणा
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चदुसु वि दिसासु चउरो चदुसु वि दिसासु चत्तार चदुसु वि दिसासु भागे
| चदुरो य महीसीणं १०७ | चम्मरयणो ण बुड्डा
२६
६५
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६६
१४२
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