Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra
Author(s): A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

View full book text
Previous | Next

Page 462
________________ गाथानुक्रमणिका ३७ देवकुरु १०-११ / देवकुरु द्रह १-३८, ११-३४० | देवच्छंद ६-११६ / देव पर्वत ११-३०४ देवसम्मित १-२०, ११-८४/ देवारण्य १-७०,३-१२८ द्रहवती ११-१४६ घातकीखएड १०-११ धारापतन ११-११७ धूमप्रभा धृतिकूट ११-१५४ ६-८१ ६-८३ ५-२६ ६-१५४ ११-३३१ ८-७७, ६-७८,८८ ८-३२ जिह ११-२ ३-१६६ ११-११३ ३-४२ का गन्धावतो ३-२०६। गन्धिला ६-१४६ जघन्य पाताल गम्भीरमालिनी ६-१०६ जयन्त गरुल ११-३२६ जयन्ता गर्भगृह जलजल गंगा २-६३, ३-१४७, १६२ जंबूद्वीप गंगाकुंड ३-१६४ जंबू द्रुम गंगाकूट ३-४० गंगाकूट प्रासाद ३-१५८ जिहिक गंगातोरण ३-१७६ ज्येष्ठ पाताल गांधारकूट ३-४५ ज्योतिरसा गोमेदका ११-११७ गौतम द्वीप १०-४३ भष ग्रन्थी ११-६७,६८,६६ ग्रहवती ८-१५ तपन तपनीय धर्मा घाट घृतवर ११-८४ तमक चक्र ११-३३० तमप्रमा चक्रपुरी ६-१३४ तमस्तमा चक्रान्त ११-१४८ तापन ११-११६ चन्दना तार विगिंछ चन्द्र ११-२०३ चन्द्र पर्वत तिमिस्र -६६ तिमिस्रगुह चन्द्रप्रम ६-१२५ तोरण चन्द्र सर ६-२८ त्रसित चंचत् ११-२८७ त्रिकूट चारणालय त्रिभुवनतिलक चित्र चित्रकूट ६-२२, ८२,७-३३,८-३ चित्र नग थडग चित्रा ११-११७ चूलिका ४-१३२ | दधिमुख चैत्यवृक्ष ५-४६ | दिमाजेन्द्र ११-११२ | तप्त ११-१४६ तप्तजला | तम नलिन नगेन्द्र पर्वत २-१६६ ११-१५१ नन्दन ११-२०६ ४-१०३, ११-२२ ११-१४७,१५१ नन्दन वन ४-६४ ८-१२० नन्दीश्वर ४-५४, ११-८५ नन्दीश्वर द्वीप ११-१५४ ५-१२० नरक ११-१५३ ११-१४६ नरकान्ता ३-१६३ ११-११३ ११-११३ नरकान्ता कूट ३-४४ ११-१५१ ११-२०७ नलिन कूट ११-२५३ ८-३६ नलिनगुल्मा ४-११३ नलिना ४-११०, ११३,६-५५ २-८६, ११-१५४ नंदावर्त ११-२१० २-५० नाग ११-३२६ ३-१७५ नाभिगिरि ३-२१५ ११-१४७, १५१ नाभिनग ८-११. नारी ३-१६२ नारीकूट निदाघ ११-१५१ ११-१४६ निमग्नसलिला २-१८ ३-२४,४-१०३ ३-३७ निषघकूट ३-४२ १-५८, ४-७४ | निषधद्रह ६-८३ निषध Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480