Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra
Author(s): A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 463
________________ जंबूदीवपण्णत्ती नील नीलकूट नीलवान् प पद्म पद्मकावती पद्मकूट पद्मद्रह पद्मा पद्मावती पद्मोत्तर पलाश पंकप्रमा 11111 i sililili ६-१६ 44 पंकबहुल पंकवती पाण्डक पाण्डुक वन पाण्डुक शिला पाण्डुकंबला पाताल पारियात्र पिष्ट पुण्डरीक पुण्डरीकिणी पुष्करवर पुष्करद्वीप पुष्कला पुष्पोत्तर पूर्णभद्र पूर्वविदेह कूट प्रज्वलित प्रणाली प्रभ प्रभ विमान प्रभंकर प्रभंकरा ३-२४,४-७५ प्रभास ११-३३८ मनक ११-१४६ ३-४३ प्रभास द्वीप ७-१०४ मसारगल्ल ११-२१५ ६-२८ प्रवाला . ११-११७ मसारगल्ला ११-११७ प्राणत पटल ११-३३३ महाकच्छा ८-१६ ११-२१० प्राविहार्य ५-५१ महानाग ६-१३७ ६-३६ प्रियदर्शन ११-३३० महापद्म ३-६६ ८-२३ प्रीतिंकर ११-३३६ महापद्मा ६-३२ ३-६६ प्रेक्षागृह ५-३७ महापुण्डरीक ३-६६ महापुरी ६-३४ ८-१५३ फेनमालिनी ६-१२७ महापुष्कलावती ८-६८ ४-७५ महावत्सा ८-१२३ महावप्रा ६-११२ बलभद्र ११-११३ ११-३३० महाशंख १०-३२ बलभद्र कूट ११-११५ ४-६६ महास्तूप बहुला ११-११६ ८-४८ महाहिमवान् बुद्धिकूट ११-२८ ३-४४ मंगलावती ८-१७५ ४-६४,१३० ब्रह्म ११-३३२ मंगलावर्त ८-४२ ब्रह्मतिलक ४-१३८, १४८ मंजूषा ८-४६ ब्रह्मोत्तर ४-१३६,१४६ मंदर ३-३७,४-२१, १०३ १०-३ मंदिर ११-२१५ १३-१६८ भद्रशाल वन ४-२४,४२ मागध द्वीप ७-१०४ ११-२११ माघवी ११-११२ भरत २-२, ११-७० ३-६६ माणिभद्र ४-५० भरतकूट २-४६, ५.१,३-४० ८-७२ मानुषोत्तर २-१६६, ११-५८ भुजगवर ११-८५ २-१६६ मानुषोत्तर शैल ५-१२० ११-५.७ ४-१११ मार ११-१५३ भुंगा ८-५ माल्यवन्त ६-२ भ्रम ११-३३३ ११-१५४ माल्यवान् ३-२०६, ६-१७८ ४-५० ११-१४६ माल्यवान् द्रह ६-२८ ३-४३ मुखमण्डप ११-१५२ | मघवी ११-११२ मेघ ११-२०९ ३-१५२ मणिकांचन कूट ३-४५. ११-११२ ११-२१२, २६७ मणिभवन ४-८४ मेरु २१-२२५ मत्त ११-२१२ म्लेच्छखण्ड ७-१०६ ११-२०८, २१० मत्तजला ८-१३८ ८-१३५, ११-२२६ | मध्यम पाताल १०-११ यमक १-५६, ६-१५ शृंगनिभा. मेघा in Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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