Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra
Author(s): A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 461
________________ ३६ अर्चिमालिनी अवतंस अवतंस कूट अवधिष्ठान अवध्या अशोक अशोका अश्वपुरी असम्भ्रान्त असिपत्र अंक अंका कावती अंजन अंजनगिरि जनमूलका अंजनशैल अंजना आत्मांजन आदर्शन यादित्य श्रानत आर आरणकल्प ears आवर्ता आशीविष ८-१४५ ४-७५, १३, ११-३२६ ८- १४७ ११-११८ ३-३७ ११-११२, ११८ श्री ईशान ईषत्प्राग्भार उज्ज्वलित ११- ३३८ उत्तरकुरु ४-७५ उ Jain Education International ११-१४७ ११- १७० ११-२०१, २२० ११- ११८ ३-४३ ११ - १५५ उत्पलोज्ज्वला उदकभास ६-१६४ ११- २१५ | उदकसीम ९-६७ उद्भ्रान्त ६-१६ उन्मग्नसलिला उन्मत्तजला ३-४० इलाफूट इषुकार (इष्वाकार ) ११-३, ७५ जंबूदीवपरणची उत्तर कुरुद्रह उत्पला ११-३०६ ११-३५६ ऊर्ध्वलोक ऊर्मिमालिनी ८ - १६६ / एकशैल ८-१६६ ऋतुविमान ऋद्धीश ऋषभ नग ऋषभशैल ११- ३३७ | ऐरावत ११- ३३२ | ऐरावत द्रह ११- १५३ ११- ३३३ औषधि ७-१०६ ८-३४ ६-५२ | कच्छुकावती कच्छा विजय कज्जला कनक नग कंचन ऊ कंचन कूट ११- १५१ कंचन पर्वत कज्जलाभा कदंबक कनक (सुवर्णकला) कूट ऋ ६- ३ | कंचनशैल ६-२८ कापिष्ठ ४- ११० कालोदक कीर्तिकूट " १०- ३१ १०- ३३ ११- १४६ २-६८ ८- १५५ कुं केसरी ४-१३६,११-१६३ | कौस्तुभ ११- २०७ | क्रौंचवर कुमुदप्रभा ११-१०६ कुमुदा ६- १४५ कुशवर १-५७ क्षारोदा ७- १४८ | क्षीरवर ८- ६४ २-२ ६-२८ ८- ६१ कुण्डल द्वीप कुण्डलवर कुण्डल शैल कुण्डला कुमुद ८-२६ ७-३४ ४-१११ ११- २०७, २१५ क्षुद्र मे क्षेमपुरी क्षेमापुरी क्षौद्रवर For Private & Personal Use Only 93 १०-३ ३-४५ गज १-५६ |गन्धकुटी खग्ग खडखड खड्गपुरी खड्गा नगरी खण्ड प्रपात खरभाग खाड ५-१२० ११-८५ ३-३७ ८-११७ ४-७५ ४-११३ ४-११०, ११३, ६-६४ ११-८५ १०-१ ३-३६ १०- ३० ११-८५ ६-२६ गन्धमादन गन्धमालिनी ३-४४ ६- २२ | गन्धर्वनिवास ६-४४, १४४ ११-३३२ ११-४३ ३-४३ ख ११-८४ ११-२२ ८-१० ७-३८ ११-८४ .११-२२७, २२८ ११-१५३ E-१४३ ८-३७ २-४६६ ११-११५ ११-१५३ ११-२११ ५-३ ६-२, ६-१७५ ६-१५७ ४-८४ www.jainelibrary.org

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