Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra
Author(s): A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 478
________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only तत्र-मान ___.प. १५, १५-२१२२-१४. | सि. प. १, १०१-१००, ११४-१५ _ अनु. सू. १. १२५ म्योरिष्माअनन्तानन्द परमाणु-अवसमासन अनन्तानन्त परमाणु-वसनासम्म अनन्त व्यावहारिक परमाणु. ८ परमाणु प्रसरणु अवसभासम-समासन ८ उवसमासन्न-सन्नासन्न १ सहसरिहया सरणु-रवरेणु सन्नासम्म व्यावहारिक परमाणु ८ समासन्न - त्रुटिरणु ८ साहसरिहया -१ सएहसरिहया करवरेणु-वासान ८ व्या. परमाणु प्रसरेणु | ८ त्रुटिरेणु-प्रसरेणु ८ सहसरिहया - १ऊर्ध्वरेणु |८ बासाप-सिता प्रसरेणु-रयरेणु ८प्रसरेणु -रयरेणु ८ ऊर्ध्वरेणु-१ त्रसरेणु कलिला यूका ८ रबरेणु-वालाम ८ रयरेणु- उत्तम मो. बासाप ८ त्रसरेणु-१ रयरेणु ८यूका-यमय ८ वाखाप-विक्षा ५. मो. बा. म. मो. , ८ रथरेणु-१३.कु. उ.कु. ८ पदमभ्य-अंगुल मनुष्य बालान सिता-यूक म. भो. ,-ज.." ६ अंगुल-पाद यूक-यव ८ ज.,,-कर्मभूमि, ८.दे.कु. . कु. म. बालाप्र%3 २ पाद-विवस्ति ८ यव-उत्सेपांगुल १हरि-रम्यक वर्ष बालाप ८ कर्मभूमि बा० - शिक्षा २ विवस्वि-हस्व ६ मंगुल-पाद ह.र. वर्ष मनुष्य बालाप ८ लिक्षा - यूक ४ हस्त-दरड, धनुष, युग, २ पाद-वितस्ति | १ हेम. हैर. मनुष्य बानाप नालिका, भा, मुख्ता ८ यूक-यव २ विवस्ति-हस्त ८ हेम. हैर. मनुष्य पालाप्र८ यय = उत्सेध सूच्यंगुल २००० धनुष-योजन २ इव-किक | ६ उत्सेघांगुल-पाद | १ पूर्वापरविदेह म. बालान २ किमास, धनुष, युग, | २ पाद-विवस्ति ८ पूर्वापरवि. मनुष्य बालामनाली, मन, मुसल २ वितस्ति-हस्त १भ. ऐ. मनुष्य बालाप २००० दण्ड-गव्यूति, कोश |२ हस्त - रिक्कु ( किष्कु) |८ भ.ऐ. म. बालाप्र-१ लिक्षा ४ गम्यूति-योजन ८ लिक्षा = १ यूका २ रिक्कु-दण्ड, धनुष, युग, मुसल, नाली ८ यूका = १ यवमध्य २००० धनुष - कोश ८ यवमध्य% १ अंगुल ४ कोश-योजन ६ अंगुल = पाद १२ । =वितस्ति | २४ , -रलि ४८,, -कुच्छी www.jainelibrary.org नालिका, भक्ष, मुसल २००० धनुष -गम्यूति | ४ गव्यूति - योजन

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