Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra
Author(s): A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 460
________________ एकादीरुवुसरमोगाद्वविखंभं कच्छपमाणं विरलिय डिसिरविसुद्ध सेसं कडिसिरविसेस श्रद्धम्मि खेत्तादिकला दुगुणा चद्गुणइसूहि भजिदं छच्चैव य इसुवरगं छहि गुणिदं इसुवर्ग जत्थिन्छसि विक्खभ " "" "3 जीवा गुरुअणुसुद्धा जीवावग्गविसोधिय "" जीवावग्गं इसुखा जीवाविक्खंभारणं उदिस देहि विभत्तं तह ते चैव यरूवा ते पुव्वुत्ता रूवा दस विक्खंभेण गुणं दीवस्स समुद्दस्स य शब्द अन्ध अचक्रान्त अच्युत कल्प अधोलोक अनुदिश अ पर विदेहकूट Jain Education International २ ६ ४ ४ ४ ४ २ २ २ २ ६ १० ११ २ २ ६ ६ २ १२ १२ ४ १० गायानुक्रमणिका १६ | दीवोवहिपरिमाणं ६ दीवोवहीण रूवा २०४ दुगुम्मि दु विक्खंभे ३२ १३५ | बाहिरसूचीवग्गो ३६ | माणुसखेच णिबद्धा पदगतमवइकउत्तर १५ मुद्दतलसमासश्रद्धं २६ | मुहभूमिविसेसेण य २८ 39 २४ | रूऊणे श्रद्धाणे ४७ | रूवविहीणेण तहा विरलिय " ६६ | रूवूण १६ - रूवू दलगच्छं ३१ वयणखिदिरहिय उच्छय २६ | विक्खंभइच्छुरहियं १२ विक्खंभकदीय कदी ११ विक्खभचदुब्भागेण १७ विक्खंभ पहुंचाएं शब्द अपराजित ११-१४८ | अपराजिता ११- ३३३ अब्बहुलभाग ११- १०६ अभ्र ११- ३३७ | अमरावती ११ - १५४ अमोघ ३-४२ / अयोध्या ६१ | विक्खंभवग्गदसगुण ५८ | विक्खंभेण भत्थं ३३ | सूची विक्खंभूणा ६५ | सोलसदल मिच्छगुणं भौगोलिक शब्द-सूची ( क्षेत्र, पर्वत, नदी, द्वीप-समुद्र, कूट एवं नगर आदि के नाम ) गाथांक शब्द गाथक १-३८, ११-३४० अरजा - ८-१२६, ६-१२५ | अरिष्ट ११- ११५ अरिष्ट नगरी ११- २१० अरिष्टा ६-४६, ११-२२६ अरुण ११-३३४ अरुणाभास ६-१५२ | अि For Private & Personal Use Only १२ १२ १० १२ १० १२ ११ ३ १० ४ १२ ४ १२ ३ 6 १० १ २ ४ १ १० १ ३५ ५६ ५४ ६१ २० ८५ ६० १०८ २१३ २१ २२३ પદ્ १७१ १७ २१४ २३ २ २४ २५ ३४ २३ ८६ २८ गाथांक ६-४६ ११-३३१ ८-२१, ८-२६ ११-११२ ११-८५, २०७ ११-८५ ११-३३८ www.jainelibrary.org

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