Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra
Author(s): A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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१५
गाधानुक्रमणिका
६७ | तस्स रागरस्स राया
२२० ४३
तत्तो परं वियाणह तत्तो पुवदिसाए तत्तो पुग्वेण तहा वचो पुग्वेण पुणो
२१६
६३
१५७ १५४ ३६२
तत्तो य पुणो अरुणं तत्तो य पुणो गंतुं तत्तो वरम्मि भागे वत्तो वि असंखेज्जा तत्तो विभंगणामा तत्तो वेदीदो पुण तत्तो सोमणसादो
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४६
३२ तस्स एगस्स दु सिहरे
तस्स णिमित्तं लिहियं
| तस्स दुवरि होदि य २०७ | तस्स दुणस्थि समाणं २०८ तस्स दु पीढस्सुवरिं १०१ २०५ तस्स दु मज्मे अवरं १५५
तस्स दु मज्मे णेयो
तस्स दु मज्मे दिव्वो १३० तस्स देसस्स णेया
" " ३२३ ૫ तस्स देसस्स मज्मे ३६१ | तस्स बहुमज्मदेसे
३८
१५८
१२६
१०
तत्थ प्रणोवमसोभो तत्थ दु खत्तियवंसो तत्थ दु णिद्वियकम्मा तत्थ दु देवारणे तत्थ दु महाणुभावो तत्थ दु विक्खंभमज्मे तत्थ पम्मि विमाणे
७६ २६६
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२१५ | तस्स बहुमज्मदेसे
तस्स य गुणगणकलिदो રપ૦ तस्स य दीवस्सद्धं
२१ तस्स वएस्स दु मज्मे १६६ तस्स वयणं पमाणं १२३ | तस्स वरपउमकलिया १५४ तस्स विजयस्स णेया
| तस्स विजयस्स मज्मे तस्स वि य लोगपाला तस्स वि य सत्तकच्छा तस्सेव य उच्चत्तं तस्सेव य वरसिस्सो
२२६ १६२ ५८
४६ १३७
७६ ११७
१०
तत्थ य अरिठ्ठणगरी तदिओ दु कालसमओ तदियम्मि कालसमए तमे भमे झसे चेव तम्मि दु देवारपणे तम्मि देसम्मि मज्मे तम्मि बणे णायव्वा तम्मि वरपीढसिहरे तम्मि समभूमिभागे वरुणरवितेयणिवहा तवणिजणिभो सेलो तवणिजमओ णिसहो तवणियमजोगजुत्तो तवणो अणंतणाणी तवविणयसीलकलिया तसजीवाणं लोगो
३१०
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REAM
२८४
५६ १५५
१५६
१६०
२४ | तह णीलवंतपवरो १६३ | तह ते चेव य रुवा
६१ | तह दक्खिणे विणेया ३५६ तह य अवायमदिस्स १४ | तह य महाहिमवंतो
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