Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra
Author(s): A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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गाथानुक्रमणिका
८४
३४७
१०७ १८४.
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२१५
१४४
१४० | बादालीससहस्सा १७४
बादालीसं चंदा २७१ बारसकोडाकोडी
बारस चदुसहियदहा बारस चेव सहस्सा
बारस य दोणमेहा ७३ | बारसयसयसहस्सा
बारसवेदिसमग्गं ८२ बारह जोयण गंतुं १६७ बारह जोयण णेश्रो १०८ बारह जोयणदीहा
" " १२३ बारह जोयण मूले १४
बारहवरचक्कधरा २०७ बारहसहस्सतुंगो १४७ बारहसहस्सरत्था
१६१
૧૫૬
४५ ११८
१३२
३०
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१३३
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१८१
११२
बत्तीसा चालीसा बद्धाउगा मणुस्सा बम्हा बम्हुत्तरिया बम्हा विण्हुमहेसरबलदेववासुदेवा बलदेवहरिगणाण य बलविक्कममाहप्पं बलिगंधपुप्फपउरा बलिधूवदीवणिवहा बलिपुप्फगंधअक्खयबहिरंधकाणमूया बहुअच्छरपरियरिया बहुअच्छरेहिं जुत्ता बहुकव्वडेहिं रम्मो "बहुकुसुमरेणुपिंजरबहुजादिजूहिकुज्जयबहुदेवदेविणिवहा बहुदेवदेविपउर बहुदेवदेविपुगणा बहुदेवदेविपुण्णो बहुबहुविहखिप्पेसु य बहुभवणसंपरिउडा बहुभवणसंपरिउडो बहुभग्वजणसमिद्धा बहुरयणदीवणियहो बहुविविहपुप्फमालाबहुविविहभवणणिवहो बहुषिविहसोहविरश्यबहुविहमणिकिरणाहयबहुवे बहुविहभेदे बहुसो य गिरिसरिच्छा बंभ बंमुत्तर बंभबंभुत्तरो वि इंदो बंसीवीणावच्चिसबाणउदा पंचसया बादालसदसहस्सा
१२ ११८
१६५
.
. १८३ बारहसहस्सरत्येहि
बावरणसमधिरेया . ७१ बावएणसया गया १४६ बावरणसया तीसा १७७ बावण्णा कोडीओ
बावीसजोयणसया
२०
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२० १७७ १५१
१७५ ४३
बावीससदा गया
बावीससहस्साई २१८
बासीसं च सहस्सा ३२५ २४० बावीसा सत्तसया
बासहिजोयणाई ११२ | बासट्ठिजोयणाणि य ३३२ | बासट्टि च सहस्सा
बाहत्तरि छच्च सया २३३ / बाहत्तरं सहस्सा १७३ | बाहिरपरिसाए पुणो ६६ | बाहिरपरिसा णेया
१०३ १२२
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१६६
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२७३
११
११
२८०
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