Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra
Author(s): A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 436
________________ छावहिं च सहस्सा २०७ १०६ २३२ छात्तरि बिपिणसदा छाहत्तरिलक्खजुया विंदति य करवत्ते छिदंति य भिंदंति य Mr & १७५ १३१ १६४ ४० २८५ गांथानुक्रमणिका ८८ | जह किण्हपक्खसुक्का ११० जह खेत्ताणं दिहा २२ जह दक्खिणम्मि भागे २४५ | जह भ६सालवणे जह भइसालसुवणे १७२ जह मणुयाणं भोगा जह हिमगिरिदहकमले जं जस्स जोगमहरिह २८५ | जं जोयणवित्थिरणं जं तत्थ देवदेवीण जं तेण कहियधम्म ७८ जंबूणदरयणमयं ४६ जंबूणयरयणमयं ३२१ जंबूणयरयदमए १०३ जंबूदीवस्स जहा १२५ १२४ जंबूदीवस्स तहा २६४ ३५ १६६ ११ - २०१ १६८ २६८ २०० ३१८ जइ ते धारावडणा जक्खिंदो वि महप्पा जगजगजगंतसोहं जगजगजगंतसोहा जगदीदो गंतणं जत्थ कुबेरो त्ति सुरो जत्थच्छइ जिणणाहो जत्थ दु वेदहणगो जत्थ य गंगा पवह जत्थ लयपालवेहि य जत्थिच्छसि विक्खंभ " ". ६५ * * * * * * ३६ १७६ १६६ * २ ६० जमकडकंचणाचलजमगाण जहा दिट्ठा ५५ १३ | जंबूदीवस्स पुणो १६ | जंबूदीवं परियदि | जंबूदीवादीया १०१ / जंबूदीवे णेया १०२/ जंबूदीवे लवणे जंबूदीवे लवणो जंबूदीवो दीवो | जंबूदीवो धादइ१२० जंबूदीवो भणिदो -." ". * gs w MUU22 or uruwood १ WM ..६० it ८४ :ss : ४८ जमगाणामेण सुरा जमणियमदीवपउरं जमलकवाडा दिव्या जमलजमला पसूया जम्हि य जम्हि य काले जयविजय वेजयंती जररोगसोगहीणा जलणिहि सयंभुरवणे जवसालिउच्छुपउरो जवसालिधएणपउरो जस्स ण कोइ अणुदरो जह भागमलिंगेण य my १६६ | जंबूदुमा वि णेया जंबूदुमाहिवस्स | जंबृदुमेसु एवं | जंबूधादइपोक्खर१७ जंबूधादगिपोक्खर७६ / जंबूपायवसिहरे m ** १२६ १२८ १८६ १६० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org


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