Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra
Author(s): A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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-६. ४०]
छट्ठो उद्देसो
रयणमयवेदिणिवहा मणितोरणमंडिया परमरम्मा । उववणकाणणसहिया महादहा होति णायव्वा ॥ ३०.. तेसु मणिरयणकमला ने कोसा उहिया जलंतादो। चत्तारि य वित्थिण्णा मज्झे अंतेसु दो कोसा ।। ३१ वेरुलियविमलणाली सुगंधगंधुद्धदा परमरम्मा । एयारसेहि गुणिदा सहस्सदलसंजुदा दिव्वा ॥ ३२ कमलेसु तेसु भवणा कोसायामा तदद्धे वित्थारा । उभयद्ध होति तुंगा कंचगमणिरयणपरिणामा ॥ ३३ चउचउसहस्स कमला चउसु वि दि होति णायव्वा । बत्तीससहस्साई अग्गिदिसाए हवे कमला ।। ३४ दक्खिणदिसाविभागे चालीससहस्स होंति कमलाणि । रिदिय दिसाभागे अडदालसहस्स णिद्दिहा ।। ३५ पच्छिमदिसाविभागे सत्तेव हवंति पउमपुप्फाणि । अठुत्तरसयकमला परिवेढे सम्बदो होति ॥ ३६ चत्तारि सहस्साई उत्तरईसाणवाउदेसेसु । भित्ता होंति तहा दरवियसियकमलकुसुमाणि ॥ ३७ गीलकुमारीणामा उत्तरचंदाकुमारि तह णामा । एरावयाकुमारी तह पच्छा मालवंती दु॥ ३८ णागकुमारीयाओ एदाओ हवंति कमलभवणेसु । पलिदोवमाउगाओ दसधणुउत्तुंगदेहाओ ॥ ३९ जह हिमगिरिदहकमले सिरिदेविसुराण होति परिसंवा । तह सीदादहवासिणिदेवीणं होति परिसंखा ॥ ४० .
युक्त, मणिमय तोरणोंसे मण्डित, अतिशय रमणीय और वन-उपवनोंसे सहित हैं; ऐसा जानना चाहिये ॥२९-३० ॥ उन द्रहोंमें जलसे दो कोश ऊंचे, मध्यमें चार और अन्तमें दो कोश विस्तीर्ण, वैडूर्यमय निर्मल नालसे सहित, सुगन्ध गन्धसे युक्त, अतिशय रमणीय, और ग्यारह हजार पत्रोंसे संयुक्त दिव्य मणिमय एवं रत्नमय कमल हैं ॥ ३१-३२ ॥ उन कमलोंपर एक कोश आयत, इससे आधे विस्तृत और उभय अर्थात् आयाम व विस्तारके सम्मिलित प्रमाणसे आधे (पौन कोश ) ऊंचे, ऐसे सुवर्ण, मणि एवं रत्नोंके परिणाम रूप भवन हैं ॥ ३३ ॥ उक्त द्रहोंमें चारों दिशाओंमें चार चार हजार और अग्नि दिशामें बत्तीस हजार कमल जानना चाहिये ॥ ३४ ॥ दक्षिण दिशाभागमें चालीस हजार और नैऋत्य दिशाभागमें अड़तालीस हजार कमल निर्दिष्ट किये गये हैं ॥ ३५ ॥ पश्चिम दिशाभागमें सात ही कमल पुष्प हैं तथा परिवेष ( मण्डल ) में अर्थात् प्रत्येक दिशामें चौदह चौदह और प्रत्येक विदिशामें तेरह तेरह, इस प्रकार एक सौ आठ कमल हैं ।। ३६ ॥ तथा उत्तर, ईशान और वायु दिशाभागोंको रोककर किंचित् विकसित चार हजार कमल कुसुम हैं ॥ ३७ ॥ कमलभवनोंमें पल्योपम प्रमाण आयुकी धारक और दश धनुष उन्नत देहवाली नीलकुमारी, उत्तरकुमारी, चन्द्रकुमारी, ऐरावतकुमारी तथा माल्यवन्ती नामकी ये देवियां स्थित हैं ॥ ३८-३९ ॥ जिस प्रकार हिमगिरि सम्बन्धी द्रहके कमलपर स्थित श्री देवीके परिवार देवोंकी संख्यायें हैं उसी प्रकार सीताद्रहवासिनी देवियोंके भी परिवारदेवोंकी संख्यायें हैं ॥ ४० ॥ एक एक द्रहमें एक
१ उ श विमलणागा. २ पब सदद्ध. ३ उ श च उस वि विदिसास. ४ उ श सहस्सायं. ५ ५.ब शेरदिय. ६ उ श अधुत्तर. ७ उप श चंद. ८ प ब सिरिदेव, श मुरिदेवि.
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