Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra
Author(s): A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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विषयानुक्रमणिका
१४५ विषय गाथा विषय
गाथा मानुपोत्तर पर्वतके आगे और नगेन्द्र पर्वतके
विस्तारका प्रमाण पूर्वमें स्थित असंख्यात द्वीपोंमें प्रवर्तमान । इन कूटोंके शिखरौपर स्थित भवनोंके कालका निर्देश करते हुए वहां उत्पन्न
विस्तारादिका प्रमाण होनेवाले तिर्यंचोंका वर्णन
१६६ इन कूटस्थ भवनोंकी शोभा द्वीप-समुद्रोंके प्राकारांका निर्देश
गिरिवरकूटों, गिरिवरशिखरों और गिरिवरनगोंके विविध स्थानोंमें प्रवर्तमान कालोंका निर्देश १७३ ऊपर जिनभवनोंका उल्लेख चतुर्थ कालका वर्णन
कुलपर्वतोपर स्थित ६ द्रहोंके नामोंका निर्देश पंचम कालका वर्णन
१८६ तटवेदियोंका अवस्थान छठे कालका वर्णन
१८८ द्रहांके आयाम आदिका प्रमाण प्रथमादि कालोमें होनेवाले नर-नारियोका
पदमद्रहमें स्थित पदमकी उंचाई आदिका ___ वर्णन
१००
उल्लेख पांच भरत और ऐरावत क्षेत्रोंमें अवस्थित
इन द्रहोंमें स्थित कलभवनों में रहनेवाली ___ उत्सर्पिणी व अवसर्पिणी कालोका निर्देश २०६ देवियोंका नामोल्लेख अन्तिम मंगल स्वरूप अजित जिनको नमस्कार २१०
इन देवियोंकी सुन्दरताका वर्णन ३ तृतीय उद्देश (पृ. ३२-५६)
श्री आदिक देवियोंके समस्त कमलभवनोंकी
संख्याका निर्देश करके उनके परिवारका सम्भव जिनको नमस्कार करके शैलस्वभाव.
वर्णन निरूपणकी प्रतिज्ञा
निषध पर्वत पर्यन्त उन द्रहों में स्थित कमलोंके छह कुलपर्वतोंका नामोल्लेख हिमवान् और शिखरी पर्वतोंकी उंचाई आदिका
विस्तारादिके दुगुणे-दुगुणे होनेका निर्देश १२७
जंबूद्रुमस्थ जंबूगृहोंकी समस्त संख्याका प्रमाण इन पर्वतोंके उभय पार्श्व भागांम स्थित
निर्देश
१२८ वनखण्डोंका उल्लेख
समस्त जंबूगृहों और पद्मगृहोंमें जिनभवनों के
___ अवस्थानका उल्लेख महाहिमवान् और रुक्मि पर्वतोंकी उंचाई
१३३ शाल्मलिद्रुमस्थ गृहों की संख्या
१३४ आदिका प्रमाण निषध और नील पर्वतोंकी उंचाई
उत्तम व जघन्य गृहोंका अवस्थान १३८ आदिका प्रमाण
पद्मा आदिके ऊपर स्थित जिनभवनोंका वर्णन १३९ इन कुलपर्वतोंकी राजासे तुलना
पद्मादि द्रहोंसे निकली हुई गंगादि नदियों का अंजन, दधिमुख, रतिकर, मंदर और कुण्डल
उल्लेख तथा शेष पर्वतोंके अवगाहका प्रमाण
पद्म द्रहसे निकलकर आगे जाती हुई गंगा हिमवान् पर्वत आदिकोंके ऊपर स्थित कूटोंकी
नदीका वर्णन संख्या और उनके नामोंका निर्देश
गंगादि कुण्डो, कुण्डद्वीपों, कुण्डनगों और मानुषोत्तर, कुण्डल और रुचक पर्वतौके
कुण्डग्रासादोंका विस्तार टोंकी उंचाई
गंगादि नदियोंकी धाराके विस्तारका प्रमाण १६८ छह कुलपर्वतोंके टोंकी उंचाई व
गंगादि नदियों के धारापतनोंकी दीधताका प्रमाण १६५
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