Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra
Author(s): A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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जंबूदीवपणती
रयणमए जगदीए स्यदमयापीढतुंगसिहरेसु । मणिमयखंभेसु तहा धयणिवहा होति णिष्टिा ॥३॥ सीहगयईसगोवाइसयवत्तमऊरमयरधयाणिवदा । चक्कायवत्तगरुडा दसविहसंखा मुणेयब्वा ॥१२ भट्सम भट्टसर्य एगेगधयाण होति परिवारा। वरपंचवण्णदिष्वा मुत्तामणिदामकयसोहा॥१३ महर्मडवाण विणहं रयदसुवण्णाण बाहिरदिसाए। गोउरसमधियतुंगा समतदो संठियपगया ॥१॥ कंचणमणिरयणमया पायारा तरथ जोयणुविद्धा । सोलसयजोषणाई तोरणदाराणि रम्माणि ॥ १५ जोयणसयमायामा विखंभ तदद्ध सोलसुत्तुंगा' । मुहमंडवा वि गेया कोसवगाह णिहिट्ठा ॥ ३६ पेक्खागिहा य पुरदो विक्खंभायाम जोयणसयाणि । समाहियसोलसतुंगा जोयणा 'दुभवगाहा ॥ ३७ सोलसोयणतुंगा चउसटायामविस्था या | ताणं पुरदो दिट्टा सभाघरा रयणसंडण्णा ॥३८ ताण सभाघराणं पीठाणि हवंति कंचणमयाणि विक्खंभायामेण य भसीवितहजीयणाणि हवे ॥१९ बेजोयणाचाणि य पठमपहवेदिएदि जुत्ताणि । रयणमयतोरणेहि य रम्माणि हर्वति पीढाणि ॥.
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रत्नमय पृथिवीपर स्थित रजतमय पीठके ऊपर ऊंचे शिखरोंवाले मणिमय खम्भोंके ऊपर ध्वजासमूह निर्दिष्ट किये गये हैं ॥ ३१ ॥ सिंह, गज, हंस, गोपति ( वृषभ ), कमल, मयूर, मकर, चक्र, आतपत्र और गरुड़, इन दश प्रकारको ध्वजाओंके समूह जानना चाहिये ॥३२॥ इनमेंसे एक एक ध्वजाके मोतियों व मणियोंकी मालाओंसे शोभायमान उत्तम पांच वर्णघाली एक सौ भाठ एक सौ आठ दिव्य परिवारध्वजायें होती हैं ॥ ३३ ॥ वहा रजत व सुवर्णमय मुखमण्डोके बाह्य भागमें गोपुरोंसे कुछ अधिक ऊंचे य चारों ओर स्थित पताकाओंसे सहित सुवर्ण, मणि एवं रत्नमय तीन प्राकार व उनमें एक योजन ऊंचे सोलह योजनके रमणीय तोरणद्वार होते हैं ॥ ३४-३५॥ मुखमण्डप भी सौ योजन आयत, इससे बाधे विस्तृत, सोलह योजन ऊंचे और दो कोश अवगाहसे युक्त कहे गये हैं ॥ ३६॥ उनके आगे सौ योजन विष्कम्भ व आयामसे सहित, सोलह योजनसे कुछ अधिक ऊंचे, और अर्ध योजन अवंगाहसे संयुक्त प्रेक्षागृह होते हैं ।। ३७ ॥ उनके आगे सोलह योजन ऊंचे और चौसठ योजन प्रमाण आयाम व विस्तारसे सहित रत्नोंसे व्याप्त समागृह होते हैं ॥३८॥ उन सभागृहोंके सुवर्णमय पीठ अस्सी योजन प्रमाण विष्कम्भ व आयामसे सहित होते हैं ॥ ३९॥ उक्त पीठ दो योजन ऊंचे, पन जैसी प्रभाषाली वेदिकाओंसे युक्त और रत्नमय तोरणोंसे रम्य होते हैं ॥४०॥ उन सभागृहोंके आगे जिनेन्द्रप्रतिमाओंसे
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१ पब रयणमहापाड, २उमओरमयर, पब मउरमरयं, श वओरमया.३ पब संबा समुट्ठिा. श सोलउत्तंगा. ५ पब कोसगाह, शबेकोसाविगाह. ६ उश अट्ठा, ७ ब श°घरा यणसंकपणा, उ मवे, श भाने.
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