Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra
Author(s): A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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जंबूदीवपण्णत्तिकी प्रस्तावना
यहाँ सांद्र घन क्षेत्रों को समान घनफलवाले अन्य नियमित सांद्र क्षेत्रों में बदलकर, तत्कालीन क्षेत्रमिति और सांद्र रैखिकी का प्रदर्शन किया गया है। सम्पूर्ण लोक को आठ प्रकार के समान घनफल (३४३ घन राजु) वाले सांद्रों (Solids) में परिणत किया है। इनमें से जिन क्षेत्रों का रूप चित्रों द्वारा प्रदर्शित किया गया है, वे अनुमान से बनाये गये हैं, क्योंकि मूल गाथा में इन क्षेत्रों के केवल नाम दिये गये हैं, चित्र नहीं।
स्केल:- १cm. = गड
(१) सामान्य लोकइसका वर्णन पहिले ही दे चुके हैं। चित्रण के लिये आकृति-२ देखिये।
(२) घनाकार सांद्र-- यह आकृति-१० में दर्शाया गया है । इसका घनफल = ७४७४७= ३४३ घनराजु है।
स्केल:-c...१
(३) तिर्यक्आ यत चतुरस्त्र या Cuboid (आयतज)- इसका घनफल ३३४७४१४ या ३४३ धन रानु है । (आकृति ११ देखिये)
आति:-११
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