Book Title: Agam 07 Ang 07 Upasak Dshang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
अर्थ
4882 सप्तमांग- उपाशक दशा सूत्र 43+
सारइएण गोघयमंडेणं अवसेसं घयविहिं पञ्चक्खाति ॥ ३७ ॥ तदाणं तरंचणं सागविहिं परिमाणं करेइ- नन्नत्थ वत्थुसाएणंवा, सुत्थियसाएणंवा मंडूक्कियसाएणंवा, अवसेसं सागविहिं पञ्चवक्वाति ॥ ३८ ॥ तदाणं तरंचणं माहुरयविहिं परिमाणं करेतिनत्थ एगे पालुंकामाधुरएणं अवसेसं माहुरयविहिं पच्चक्खाति ॥ ३९ ॥ तदाणं तरंचणं जेमणविहिं परिमाणं करेति नन्नत्थ सेहंवदालियंचेहिं, अवसेसं जीमणविहि पच्चक्खाति ॥ ४० ॥ तदाणं तरंचणं पाणियविहिं परिमाणं करेति - नन्नत्थपुगेणं अंत शरद ऋतु-अश्विन कार्तिक का निष्पन्न हुवा गाय का घृत उपरान्त घृत के प्रत्याख्यान ॥ ३७ ॥ वदनन्तर शास्त्र का प्रमाण किया - फक्त बत्थवे का, सूर्वे (सूत्रा पालखा) का शाख, मंदुकी का शास्त्र (भाजी) इन तीन प्रकार के शाख उपरान्त अपर शेष शाख के प्रत्याख्यान||३८|| तदनन्तर मधुरफल का परिमाण करते फक्त एक पालंका-बल्लीका फल उपरान्त अपर शेष बल्ली के फल के प्रत्याख्यान ॥ ३९ ॥ तदनन्तर जेमने की विधी का प्रमाण करते फक्त दाल के बडे तथा पुडे और जेमन के प्रत्याख्यान ॥४०॥ | तदनन्तर पानीका प्रमाण किया- फक्त एक आकाशका पडा हुवा अधर झेला हुवा ( टंके प्रमुख में) १ कितनेक शरद ऋतु का अर्थ नित्य फजर का बनाया हुषा घी का भी कहते हैं
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488+ आनंद श्रावक का प्रथम अध्ययन +
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