Book Title: Agam 07 Ang 07 Upasak Dshang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सप्तमांग-उपशाक दशा सूत्र
विहरंति ॥ ३४ ॥ तएणं से कामदेव समणोवासए वहुहिं जाव भावेत्ता वीमंवासाई समणोवासगं परियागं पाउणीत्ता, एक्कारस उवसग्ग पडिमाओ सम्मं कारणं फासित्ता, मासिथाए, सलेहणाए. अप्पाणं ज्यूसित्ता , सर्द्धिभत्ताई अणसाइं छेदित्ता, आलोइय पहिवंते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा, सोहम्मे कप्पे सोहम्मवाडमयस्स महा विमाणेस्स उत्तर पुत्थिमेणं अरूणाभेविमाणे देवत्नाए उबवण्णे, तत्थेणं अत्]गइयाणं देवाणं चचारि पलिओवमाइंटिइ पण्णत्ता, तत्थणं कामदेवस्सवि देवस्स चत्तार
पलिओ वमाई लिई पण्णता ॥ ३५ ॥ सेणं भंते ! कामदेवेताओ दवलोगाओ वे कामदेव श्रावक पहिली श्रावकी प्रतिमा से लगाकर यावत् इग्यारे प्रतिमा आनन्द श्रावक की तरह
अंगीकार की ॥ ३४ ॥ तब कामदेव श्रावक बहुत प्रकार के तप करते हुये यावत् आत्मा को भावते हुवे *बीम वर्ष आवकपने की पर्याय का पालन किया, इग्यारे श्रावक की प्रतमा का सम्यक् प्रकार से पालन किया, अन्तिम अवसर में मंथारा किया साठ भक्त अनशन का छदन किया आलोचना प्रतिक्रमण कर समाधी से काल के अवसर काल पूर्ण कर सौधर्म कल्प वैमान के ईशान कौन में अरुणाभ विमान में देवता अपने उत्पन्न हुने. तहां कितनेक देवताओंकी चार फ्ल्पोपम की स्थिति है, कामदेवदेवकी भी चार पल्योपमकी
कामदेव श्रावक को द्वितीय मध्ययन-4
अर्थ
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