Book Title: Agam 07 Ang 07 Upasak Dshang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सप्तमांग-उपाशक दशा सूत्र Nali
॥ तृतीय-अध्ययनम् ॥ उक्खओ तइयरस अञ्झयणस्स एवं खलु जंबू ! तेणंकालेणं तेणंसमएणं वाणारसी नाम नयरीहोत्था. कोट्ठगनामचेइए, जितसतराया ॥ १ ॥ तत्थणं वाणारसीए चुलणी पिता नाम गाहावती परिवसति, अट्ठ जाव अपरिभूए; सामाभारिया ॥ अटु हिरण्ण कोडीओ निहाण पउत्ताओ, अट्ठहिवुढीपउत्ताओ, अट्टहिं पवित्थरपउत्ताओ, अटुवया दसगो साहस्सिएणं वएणं, जहा आणंदो राईसर जाव सव्वकज वढावएगावि होत्था उक्षेप तीसरे अध्ययन का-यों निश्चय, अहो जम्बू ! उस काल उस समय में बानारसी नाम की नगरी थी. कोष्टक नाम के यक्ष का यक्षालय बगीचे युक्त था, बानारसी नगरी में जित शत्रु माम का
राजा राज्य करता था ॥ १॥ तडा बानारसी नगरी में चुल्लनीफिता नाम का गाथापति रहता था, वह ॐ ऋद्धिबन्त यावत् अपराभवित था, उस के शामा नाम की भारिया थी. चुलनी पिता गाथापति के आठ ४० हिरण्य कोडी द्रव्य तो निध्यान (जमीन) में था, आट हिरण्य कोडी का द्रव्य व्यापार में, आठ हिरण्य
कोडी का पाथरा घर बिखेरा था और दश हजार माय का एक वर्ग ऐसे आठ वर्ग गायों के (८० हजार गौ) थे. जिस प्रकार आनन्द गाथापति राजा ईश्वरादि में मान में योग्य सबको आधारभूत था, उस है,
चल्लनी पिता श्रावक का तृतीय अध्ययन
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