Book Title: Agam 07 Ang 07 Upasak Dshang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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अनुवादक-बालब्रह्मचारीबुनि श्री अमोलक ऋषिजी +
जणणी दुकररकारिया तास सआ गिहाओ नीमि २ त्ता तव अग्गी घाएमि २ वा तओ भंस सोलए करेमिरत्ता आदाणं भरियसि कडाहयंसि अहहेमि २त्ता तवगाथ मंसेणय सोणिएणं अइचामि, जहाणं तुम्हं अट्ट दुहट्ट बसढे अकाले चर जीवियाओ धवरोवजसि ॥१॥ तत्तेण चुल्लणीपिया तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरंति ॥ १२ ॥ तएणं से देवे चुल्लणिपिय समणोबासयं अभीयं जाव पाप्सति २ ता चुलमीपियं समजो वासयं दोच्चप्पि तचंति एवं वयासी-हभो ! चुल्लणीपिया ! तहेब जाब विविरोविबसि ॥ १३ ॥ तएणं तस्स चुलणीपियस्स तेणं देवेणं दोचंपि यो बोला-भो चुल्लनीपिना: अभाधिक के प्राधिक मो आन पौषधोवास प्रत नियम का भंग नहीं करेगा तो मैं आज यह तेरी माता भद्रा सार्थवाहीनी तेरे देव समान गुरु समान जनिता-जन्मदाता तेरेलिय दुक्कर परिश्रमकी करनेवाली, उस तेरे घरमम तेरे सन्मुख लाकर मारूंगा, उसके मांस के तीन टुकडे करमांम रक्त कडाइमें सलकर तेरे शरीरपर छढुिंगा, जिससे तू आतध्यान ध्याकर दुःखी होकर अकाल में मृत्यु पावेगा॥११॥ तब जुल्लनीपिता एस देवता का उक्त वचन सुनकर भी चलायमान नहीं हुवा यावत् धर्म ध्यान ध्याता हुवा विचरब लगा । १२॥ सब वह देवता चलतीपिता को निखरपने यावत् धर्म ध्यान ध्याता इवा देखकर दो वक्त तीन यस यों बोचा-बैसे ही खेरी माता को मारूंगा जिस से तू अकालमें मृत्यु पावेगा ॥१३॥ तब 21
प्रकाशक राजाबहादुर लाला दुखदेवसहायनी ज्वालाप्रसादजी
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