Book Title: Agam 07 Ang 07 Upasak Dshang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
View full book text
________________
अर्थ
4 सप्तमांग उपाय दशा सूत्र
॥ पञ्चमं - अध्ययनम् ॥
उक्खेवो पंचमंस्स अज्झयणरस एवं खलु जंबू ! तेणंकालेणं तेणंसमएणं आलंभियानामं नयरी होत्था; संखत्रणे उज्जाणे; जियसत्तूराया ॥ चुल्लसयएगाहावई परिवसई, अड्डे जा छहिरण कोडीओ निहाणपउत्ताओ, छबुड्डीपरत्ताओ, छपवित्थरपउत्ताओ, छन्वया दसगोसाहस्सिएणं, बहुलाभारिया || सामीसमोसड्डे, जहा आनंदो तहा धम्मं सोचा गिहि धम्मं पडिवज्जति सेसं जहां कामदेवे जाव समणस्स भगवओ महावीरस्स धम्मं
उक्षेप पचिचे अध्ययन का—यों मिश्चय, हे जम्बू ! उस काल उस समय में आरंभिका नाम की नगरी थी, शंख वन उद्यान था, जित शत्रू राजा था, चुलनी शतक गाथापति रहता था. उस के छ (हिरण्य कोडी निध्यान में थी, छे हिरण्य कोडी व्यापार में थी, छे हिरण्य कोडी का पाथरा था; दश हजार गौ का एक वर्ग ऐसे छ वर्ग गौ के थे, साठ हजार गौ थी. बहुला नाम की भार्या थी. श्रमण भगवंत महावीर स्वामी पधारे, आनंद भाबक की तरह चुलती शतक भी वंदने गया, धर्मकथा श्रवण की, गृहस्थ का धर्म व्रत धारन किये, अपनी स्त्री को भी श्रावक व्रत धारन कराया, गौतम स्वामीने प्रश्न किया तैसा ही उत्तर दिया, भगवंतने बिहार किया. खुल्लशतक श्रावक बडे पुत्रको गृहमार संभलाकर पौषधशाला
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
* चुलशतक श्रावक का पंचम अध्ययन
www.jainelibrary.org