Book Title: Agam 07 Ang 07 Upasak Dshang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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। ते सेयं खलु ममं एवं पुरिस गिण्हित्तए तिकटु उट्ठाइए जहा चुल्लणीपिता तहेव सव्वं
'भाणियव्वं, नवरं अग्गिमित्ताभास्यिाकोलाहलं सुणेत्ता; भणति,सेसं जहा चुल्लणीपिता। 1७है .बत्तवया णवरं अरुण भएविमाणे उयवातो॥ जाव महाहिदेहवासे सिज्झिहिति ॥५६॥
निक्खेबओ, उपासग दसाणं सत्तमज्झयणं सम्मत्तं ॥ ७॥ * कर, आयुष्य पूर्ण कर प्रथम देवलोक के अरुणभूत विमान में दोवतापनें उत्पन्न हुवे, चार पल्योपम का आयुष्य पाये, महा विदेहक्षत्र में जन्य धारन कर सिद्ध होगा यावत् सर्व दुःखका अन्त करेगा. यह उपाशक दशांग का साल पुत्र श्रावक का सातवा अध्ययन संपूर्ण हुन ॥ ७ ॥
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48 सप्तपांग-उपाशक दशा सूत्र
48 सहालंपुत्र श्रावक का सप्तम अध्ययन
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