Book Title: Agam 07 Ang 07 Upasak Dshang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
अर्थ
सप्तमांग- उपाशक दक्षा सूत्र +
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दुष्पाणिहाणे, काय दुष्पाणिहाणे, सामाइयस्स सइ अकरणयया, सामाइयरस अण्णवट्ठियरस करणया ॥ ५३ ॥ तदाणं तरंचणं दिसावगासियरस समणोवास एवं पंचअइयारा जाणिव्वा नसमयरियन्वा तंजहा आणवणप्पओगे, पेसवणप्पओगे, सदाणएवा, रूवाणूवाए, बहिया पुग्गाले पक्खेवे ॥ ५४ ॥ तदाणं तरंचणं पोसहोत्र वासरस समणो वासणं पंचअइयारा जाणियव्वा नसमायरियवा तंजहा- अप्पडिलेहिए दुष्पडिलेहिय सिज्जासंथारे, अप्पडिलहिए दुप्पडिलेहिय उच्चारपासवणभूमी, अप्पम - जिय दुप्पमजिय सिज्जासंथारे, अप्पमजिय दुप्पमजिय उच्चार पासवणभूमी, पोसहोव -
{ से खराब विचार करे, २ वचन से खराब उच्चार करें, ३ काय अयत्ना से परवरतावे, ४ सामायिक काल पूर्ण हुवे पहिले पारे, और २ सामयिक किये वाद उसकी शुद्धी भूलजावे ॥ ५३ ॥ तदनन्तर दशवा दिशाब काशीक व्रत के पांच अतिचार श्रमणो मासक जाने परंतु आदर नहीं, उनके नाम- १६ मर्याद की हुई भूमीका के वाहिर की वस्तु मंगाये, २ मर्यादा के वाहिर वस्तु भेजावे, ३ शब्दनुपात करे, ४ रूपानुपात करे, और५मर्याद बाहिर कारादि पुगलानुपात करे ॥५४॥ तदनन्तर इग्यारवा पौषध व्रतके पांच अतिचार जाने परंतु आदरे नहीं उनके नाम-पौषध करने का मकान व बिछोना की प्रतिलेखना नहीं करे, व खराबतरे करे, २ पोषध का मकान व बिछोना की प्रमार्जना नहीं करे. व खराबतरेकरे, ३लघुनीत व वडीनीत की. भूमी
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4088+-- यानंद श्रावक का प्रथम अध्ययन 48
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