Book Title: Agam 07 Ang 07 Upasak Dshang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
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सप्तमांग-उपाशक दशा सूत्र 438
पङिलहेति २त्ता दम्भसंथारयं संथरइ २ ता दन्भसंथारयं दुरुहति २ सा पोसहसालाए पोसहिए दब्भसंथारोवगते समणस्स भगवतो अंतिए धम्मपण्णत्तियं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ ॥७०॥ तएणं से आणंदे समणोवासए पड्डमं उवासगपडिमाणं उत्रसंपजित्ताणं दर्भ-घास के बिछोने पर बैठे पोषधशालामें पोषध सहित दर्भ-घास के संथारेपर रहे हुवे श्रमण भगवंत महावीर स्वामी के पास अङ्गीकार किया हुवा धर्म का विशेष शुद्ध विधीसे पालन करते विचरने लगे ॥ ७० ॥ तब आनन्द श्रमणोपासक प्रथमादि इग्यरह श्रावक की प्रतिमा अङ्गीकार कर विचरने लगे-उन के नाम११सम्यक्त्व प्रतिमा-एक महिने तक ले छंडी पांच भतिचार रहित सम्यक्त्व निर्मल पाले, २ व्रत प्रतिम दो महीने तक सम्यक्त्व युक्त अतिचार रहित व्रत निर्मल पाले, ३ सामायिक प्रतिमा-तीन महीने तक सम्यक्त्व व्रत युक्त ३२ दोष रहित त्रिकाल की सामायिक अवश्य करे, ४ पौषध प्रतिमा-चार महीने तक उक्त गुणयुक्त १८ दोष रहित एक महीने में छ (दो अष्टमी, चार चतुदर्शी अमावस्य चतुदर्शी पूर्णिमा) का व उदिष्ट तिथीयोंका पोषध जरूरकरे,नियम प्रतिमा पांच महिनेतक उक्तगुणयुक्त-१ दिनका ब्रह्मचर्य पाले,२ . स्नानकरे नहीं ३ पगरखी पहने नहीं, ४ धोतीकी लांग खुल्लरिक्खे, और पोषध में चार प्रहर रात्रिका का-* युत्सर्गकरे, यह पांच नियम धारे, ६ ब्रह्मचर्य प्रतिमा-उक्त गुणयुक्त छ महीने तक सर्वथा ब्रह्मचर्य पाले, १७ सचित्त त्याग प्रतिम-युक्त गुणयुक्त सात महीने सक सचित वस्तु का आहार करे नहीं, · उदिष्ट ।
आणंद श्रावण का प्रथम अध्ययन 48
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