Book Title: Agam 07 Ang 07 Upasak Dshang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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है द्वितक्खएणं अणंतरं चइत्ता कहिंगच्छहिंति कहिं उववजहिति ? ॥ गोयमा ! महा
विदेह वासे सिज्झिहिंति बुझिहिंति मुचिहित्ति परिनिव्वाहिति सन्वदुक्खाणं मंतं
करेंति ॥ ९४ ॥ निक्खेवओ उवासग दसाणं पढमझयणं सम्मत्तं ॥ ॥ किया हुवा आयुष्य का क्षय कर, देवता का भा और देवता की स्थिति का क्षय कर कहां जावेगा कहा उत्पन्न होगा ? अहो गौतम ! महा विदेह क्षेत्र में ऋद्धियंत गृह में जन्म लेकर संयम लेकर कर्म क्षय कर सिद्ध होगा बुद्ध होगा, मुक्त होगा, निर्वान मान होंगा, शारीरिक मानसिकादि पर्व दुःखका क्षय करेगा. F॥९४ ॥ निक्षेप, उपाशक दशांग का आनन्द प्रावक प्रथम अध्ययन संपूर्ण ॥१॥
+8+ समांग-उपचाक दशा सूत्र
आणंद श्रावक का प्रथम अध्ययन 418
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