Book Title: Vaishali Institute Research Bulletin 6
Author(s): L C Jain
Publisher: Research Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
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समय बाद मैं जैन-बौद्धदर्शन में रीडर हो गया और इसके बाद दर्शन विभागाध्यक्ष भी हो गया। यह सब पूज्य पं० जी के आशीर्वाद और कृपा का ही फल रहा है।
पं० जी में कितनी विशेषताएँ अववा गुण थे उन सबका वर्णन करना यहाँ संभव नहीं है। वे सादा जीवन और उच्च विचार के प्रतीक थे। उनका जीवन संयमी और पवित्र था। यह कहा जा सकता है कि उनका जीवन एक तपस्वी जैसा था। वे कहा करते थे कि आगे ऐसे ही किसी पवित्र कुल में जन्म हो जो मांसाहारी न हो। मुझे पूर्ण विश्वास है कि उनको सद्गति अवश्य प्राप्त हुई होगी। उनके आकस्मिक निधन से जैन समाज तथा विद्वत्समाज को जो महती क्षति हुई उसकी पूर्ति निकट भविष्य में संभव नहीं है । अन्त से मैं पूज्य पं० जी के चरणों में अपनी सादर श्रद्धाञ्जलि समर्पित करता हूँ।
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