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Vaishali Institute Research Bulletin No. 6
वस्तुतः आत्मा की परिणति दो प्रकार की होती है - शुद्ध और अशुद्ध रूप । इनमें कृष्ण, नील और कापोत — ये तीन रंग अशुद्ध माने गये हैं । अतः ये अधर्मं रूप लेश्यायें अशुभ या अशुद्ध हैं । तेजस्, पद्म और शुक्ल -- ये तीन रंग शुद्ध माने गये हैं अतः ये शुभ या शुद्ध रूप धर्म - लेश्यायें हैं ।
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अतः कृष्ण, नील आदि छह वर्णों ( रंगों ) की अपेक्षा' तथा कटु, तिक्त आदि रसों की अपेक्षा द्रव्यलेश्या के छह भेद हैं
१- भौंरा या कजल के समान कृष्णवर्ण और नीम या तुम्बे से अनन्त गुण कटु के सम्बन्ध से आत्मा में जो परिणाम होता है वह कृष्ण लेश्या है ।
पुद्गल
२ - नीलम के समान नीलवर्णं और सोंठ से अनन्त गुण तीक्ष्ण पुद्गल से होने वाले आत्मा के परिणाम को नीललेश्या कहते हैं ।
३ -- कबूतर के गले के समान रक्त एवं कृष्ण वर्णं तथा कच्चे से अनन्तगुण तिक्त पुद्गलों के सम्बन्ध से आत्मा में जो परिणाम लेश्या है ।
४ - हिंगुल ( सिन्दूर ) के समान रक्तवर्ण और पके आम के रस से अनन्त गुणा मधुर पुद्गलों के संयोग से जो आत्मा के परिणाम होता है वह तेजस् लेश्या है ।
सम्बन्ध
५ - हल्दी के समान पीतवर्णं तथा मधु में भी अनन्त गुणा मिष्ट पुद्गलों के संयोग से आत्मा का जो परिणाम होता है वह पद्म लेश्या है ।
आम ( कैरी ) के रस होता है, वह कापोत
६ – शंख के समान श्वेतवर्ण और मिश्री के समान अनन्त गुण मोठे पुद्गलों के सम्बन्ध से आत्मा का जो परिणाम होता है वह शुक्ल लेश्या है शान्त-मन जितेन्द्रियता, वीतरागता आदि शुक्ल लेश्या के परिणाम हैं ।
गन्ध की दृष्टि से कृष्ण, नील और कपोत ये तीनों अप्रशस्त लेश्यायें मृत गाय, श्वान और सर्प के कलेवर की गन्ध से भी अनन्त गुणा अमनोज्ञ तथा तेज, पद्म और शुक्ल - इन तीन प्रशस्त श्यायें सुगन्धित पुष्पों की सुगन्ध के समान अनन्तगुणा मनोज्ञ होती है । 3
१. गोम्मटसार जीवकाण्ड ४९५ ।
२. उत्तराध्ययन ३४/१०-१५ । ३. उत्तराध्ययन ३४ /१६-१७ ।
४. वही ३४ / १८-१९ ।
५. गोम्मटसार, जीवकाण्ड गाथा ५०९ - ५१७ ।
स्पर्श की दृष्टि से तीन अप्रशस्त लेश्यायें कखत, गाय की जीभ तथा शाक के पत्तों के कर्कश स्पर्श से भी अनन्तगुणा कर्कश तथा तीन प्रशस्त लेश्यायें नवनीत ( मक्खन ) तथा सिरीष के पुष्पों के मृदु स्पर्श से भी अनन्तगुणा मृदु स्पर्श होती हैं ।
गोम्मटसर के अनुसार षड्विध भावलेश्या की दृष्टि से जीव निम्नलिखित प्रकार के स्वभाव और विचारों के होते हैं-५
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