________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [19 अवगाहनगुण अतिशय विशाल,तिनके पद वंदों नमन भाल। कछु घाट न बाट कहे प्रमान, सो गुरु लघुगुरु धारै महान॥ जै बाधा रहित विराजमान, सो अव्याबाघ कहो बखान। ये वसु गुण हैं व्योहार संत निश्चय जिनवर भाषे अनंत // सब सिद्धनके गुण कहे गाय,इन गुणकर शोभित हैं बनाय। तिनकोभविजन मनवचनकाय,पूजत वसुविधअति हरषलाय॥ सुरपति फनपति चक्री महान, वलहर प्रतिहर मनमथ सुजान। गणपतिमुनिपतिमिलधरतध्यान,जैसिद्धशिरोमणिजगप्रधान॥ घत्ता-सोरठा ऐसे सिद्ध महान, तिन गुण महिमा अगम है। वरणन कहो वखान, तुच्छ बुद्धि भवि लाल जू॥२०॥ दोहा-करतारकी यह विनती, सुनो सिद्ध भगवान। मोह बुलावो आप ढिंग यही अरज उर आन॥२१॥ इति श्री सिद्धपरमेष्ठी पूजा संपूर्ण।