________________ 18] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान ធនធានធនធានធនធានជលផល ले फल उत्कृष्ट महान्,सिद्धनको पूजो,लहि मोक्षपरमसुख थान, प्रभुसम तुम हुजो, यह गुण बाधाकर हीन, बाधा नाश मई। सुख अव्याबाध सु चीन, शिवसुन्दर सुलई।ॐ ह्रीं. फलं॥ जल फल भर कंचन भर कंचन थाल, अरचत कर जोरी। तुम सुनयो दीन दयाल बिनती है मौरी, कर्मादिक दुष्ट महान, ईनको दूर करो, तुम सिद्ध महा सुखदान, भव भव दुःख हरो॥ॐ ह्रीं. ॥अर्धं // 10 // अथ जयमाला-दोहा। नमो सिद्ध परमात्मा, अद्भुत परम विशाल। तिन गुण अगम अपार है, सरस रची जयमाल॥११॥ पद्धडी छन्द जै जै श्री सिद्धनको प्रणाम, जै शिव सुखसागर केसु धाम। जै बल२ घात सुरेश जान, जै पूजत तन मन हरष आन॥ जै छायक गुण सम्यक्त लीन, जै केवल ज्ञान सुगुण नवीन। जै लोकालोक प्रकाशवान, यह केवल अतिशय हिये आन॥ जै सर्व तत्व दरशै महान, सो दर्शन गुण तीजो सु जान। जै वीर्य अनंतो है अपार, जाकी पटतर दूजो न सार॥ जै सूक्षमता गुण हिय धार सब ज्ञेय लखो एक ही बार। इक सिद्धमें सिद्ध अनंत जान अपनीर सत्ता प्रमान /